छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान जिस दिन कह देगा, वह उसी दिन सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे। ये बात सीएम ने News18 इंडिया के चौपाल कार्यक्रम में कही। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सोनिया गांधी हमारी नेता हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि राहुल गांधी फिर से पार्टी की कमान संभालें।
छत्तीसगढ़ में ढाई साल के मुख्यमंत्री वाली बात सीएम बघेल ने सफाई देते हुए कहा कि ढाई साल की डील जैसी कोई बात नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘हाई कमान जिस दिन बोले, मैं उसी दिन इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हूं।’ बघेल ने यह भी कहा कि हाई कमान के सामने कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं हुआ?
कांग्रेस पार्टी और उसके फुल टाइम अध्यक्ष के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने अपनी इच्छा सामने रखते हुए कहा कि अभी सोनिया गांधी हमारी नेता हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि राहुल गांधी फिर से पार्टी की कमान संभालें।
उन्होंने आगे कहा कि गांधी परिवार के प्रति कांग्रेसजनों और हिंदुस्तान की जनता में विश्वास है। जितना त्याग और बलिदान इस परिवार ने दिया, उसकी मिसाल नहीं है। पार्टी हमारी है, तो हम ही तय करेंगे कि किसे अध्यक्ष चुनें।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र के समय के गुजरात मॉडल पर भी सवाल उठाए हैं। बघेल ने कहा कि गुजरात मॉडल सात साल में कोई नहीं जान पाया कि ये क्या है? अब BJP के लोग भी गुजरात मॉडल की चर्चा नहीं करते। छत्तीसगढ़ मॉडल लोगों की आमदनी बढ़ाने का है, जिसकी शुरुआत किसानों की कर्जमाफ़ी से हुई।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में हर क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में विकास हुआ। नोटबंदी, GST और कोरोना लॉकडाउन में देश मंदी की चपेट में आया, लेकिन छत्तीसगढ़ में विकास दर बढ़ी।
सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत जंगल है। देश में वन उपज की 74 प्रतिशत खरीद छत्तीसगढ़ में ही हुई, क्योंकि हमने वन उपज खरीदने की संख्या सात से 52 कर दी। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की आय भी बढ़ी है।
वहीं केंद्र आरोप लगाते हुए बघेल ने कहा कि हमको जगह-जगह रोकने की कोशिश की जा रही है। केंद्र सरकार ने हमारा 20 हजार करोड़ रुपए रोका हुआ है। हमको चावल से एथेनॉल बनाने की मंज़ूरी केंद्र सरकार पिछले तीन साल से नहीं दे रही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों को नौ हजार रुपए प्रति एकड़ की इनपुट सब्सिडी मिलती है, जो देश में सबसे ज़्यादा है।
भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि बारदाना देने में केंद्र सरकार के जूट कमिश्नर छत्तीसगढ़ के साथ भेदभाव कर रहे हैं, ये सिर्फ राजनीति है। रमन सिंह के कार्यकाल में केंद्र में UPA की सरकार थी, इसलिए धान खरीदते समय बारदाने की कमी नहीं हुई।
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