बिलासपुर, 24 जून : कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल संभवतः सेवानिवृत (30 जून) होने के पहले आख़िरी बार शनिवार को एसईसीएल (SECL) के प्रवास पर पहुंचे। श्री अग्रवाल ने कोरबा जिले में स्थित कुसमुंडा क्षेत्र में वर्कशॉप कॉम्प्लेक्स, गेवरा क्षेत्र मे FMC (फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी) के तहत बनाए गए रेल रैपिड लोड आउट सिस्टम (RROLS) एवं VC के माध्यम से रायगढ़ क्षेत्र में बरौद साइडिंग का उदघाटन किया गया।
इस अवसर पर एसईसीएल सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा, निदेशक तकनीकी (संचालन) एस.के. पाल, निदेशक (वित्त) जी. श्रीनिवासन, निदेशक तकनीकी (यो./परियो.) एसएन कापरी, निदेशक (कार्मिक) देबाशीष आचार्या, महाप्रबंधक कुसमुंडा क्षेत्र संजय मिश्रा, महाप्रबंधक गेवरा क्षेत्र एस के मोहंती, एवं महाप्रबंधक रायगढ़ क्षेत्र एचएस पांडे उपस्थित रहे।
श्री अग्रवाल द्वारा उद्घाटित की गईं इन परियोजनाओं से एसईसीएल के इन क्षेत्रों में कोयला उत्पादन एवं प्रेषण में तेज़ी आएगी एवं ये कंपनी के कोयला उत्पादन के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।
कुसमुंडा ओपनकास्ट परियोजना की क्षमता 50 मिलियन टन प्रतिवर्ष है जिसके लिए एसईसीएल द्वारा 400 से अधिक एचईएमएम (हेवी अर्थ मूविंग मशीनरी) का क्रय किया जा रहा है जिसमें 60 टन से लेकर 240 टन क्षमता के कुल 261 डंपर शामिल हैं। इसे एवं एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट्स से निकटता को ध्यान में रखते हुए, एचईएमएम मशीनों की मरम्मत और रखरखाव आवश्यकताओं के लिए एक मुख्य वर्कशॉप का निर्माण किया गया है। परियोजना में डंपर वाशिंग सिस्टम, बे लुब्रिकेशन सिस्टम, कम्प्रेस्ड एयर सिस्टम, ईओटी क्रेन, बिजली की आपूर्ति, इंडोर एवं आउटडोर लाइटिंग, संचार, वेंटिलेशन, अग्निशमन आदि जैसे सब-सिस्टम भी शामिल हैं।
एफ़एमसी (फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी) के तहत बनाए गए गेवरा रैपिड लोडिंग सिस्टम (आरएलएस) परियोजना की कुल लागत 222 करोड़ रुपये है। इस रैपिड लोडिंग सिस्टम की मदद से हर वर्ष 20 मिलियन टन कोयला डिस्पैच करने में मदद मिलेगी। रैपिड लोडिंग सिस्टम में जहां ट्रक रिसीविंग स्टेशन में 8 हॉपर हैं वहीं इसके तहत बनाए गए बंकर की क्षमता लगभग 30,000 टन है। इस बंकर से प्रति घंटे 4,500 – 5,500 टन कोयला रेल रैकों में लोड किया जा सकेगा।
एसईसीएल रायगढ़ क्षेत्र अंतर्गत बरौद खदान क्षेत्र की सबसे परिपक्व खदान में से एक है। इसकी शुरूआत 1 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता से हुयी थी और अब बरौद-बिजारी-राई वेस्ट तथा राई ईस्ट जियोलाजिकल ब्लाक्स को मिलाकर बरौद विस्तार परियोजना तैयार की गयी है, जिसकी क्षमता 10 मिलियन टन प्रति वर्ष होगी। इसमें लगभग 269 मिलियन टन कोयला का भण्डारण आँका गया है।
बरौद साइडिंग की क्षमता 20 हजार टन प्रतिदिन की होगी यानी यहाँ से प्रतिदिन लगभग 4 रैक कोयला भेजा जा सकेगा तथा यह बरौद-कोरीछापर सायडिंग के जरिए खरसिया मेन लाईन से जुड़ा है।
एसईसीएल की महात्वाकांक्षी फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजना के अंतर्गत बरौद में 10 एमटीवाई क्षमता के सीएचपी सायडिंग का भी निर्माण हा रहा है जहाँ से लगभग 6 रैक कोयला प्रतिदिन डिस्पैच भेजा जा सकेगा। बरौद साइडिंग की शुरूआत माँड- रायगढ़ कोलफील्ड के विकास के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण रहने की आशा है।