नई दिल्ली, 03 सितम्बर। कोयला कामगारों के वेतन समझौते का मामला थोड़ा आगे बढ़ा है, लेकिन राह में अभी DPE (Department of Public Enterprises) जैसी कुछेक बाधाएं भी हैं। इन बाधाओं को तभी पार किया जा सकता है जब चारों श्रमिक संगठनों के नेता एकजुटता के साथ डटे रहे रहें।
DPE ने वर्ष 2017 में में देश के सभी पब्लिक सेक्टर के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी। इसके तहत किसी भी सार्वजनिक उपक्रम के एक्जीक्यूटिव को लोअर ग्रेड तथा नॅन- एक्जीक्यूटिव का हायर ग्रेड में बेसिक में बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए। कोल सेक्टर के लिए नियमों को शिथिल किए जाने की मांग की गई है। दो अगस्त को कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी (Coal Minister Pralhad Joshi) के साथ हुई बैठक में यूनियन ने इस मुद्दे को उठाया था। जेबीसीसीआई (Joint Bipartite Committee for the Coal Industry) की तीसरी बैठक में भी इस विषय को लेकर चर्चा की गई थी।
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इधर, जेबीसीसीआई सदस्य डीडी रामनंदन ने कहा कि अब आर- पार वाली स्थिति निर्मित हो रही है। यूनियन ने 50 फीसदी मिनिमम गारंटी बेनिफिट (MGB) की मांग घटाकर 30 कर दी है। इस आंकड़े पर तभी डटा रहा जा सकता है जब चारों यूनियन के लोगों में एकजुटता होगी। प्रबंधन 3 से 10 फीसदी एमजीबी पर आया है उम्मीद है वो हमारी 30 प्रतिशत की डिमांड तक पहुंचेगा। मानकर चलिए की 7वीं बैठक में कांटे की बारगेनिंग (Bargaining) होगी।
सीटू नेता ने बताया कि शुक्रवार को हुई जेबीसीसीआई की बैठक में उनके द्वारा सीआईएल प्रबंधन से पूछा गया था कि डीपीई गाइडलाइन में छूट इत्यादि को लेकर मंत्रालय ने क्या निर्देश दिए हैं। इस पर चेयरमैन ने कहा था कि फिलहाल इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है, पता कर बताएंगे।
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यहां बताना होगा कि जेबीसीसीआई की 6वीं बैठक में लंबी चर्चा के बाद यूनियन ने प्रबंधन के समक्ष 30 फीसदी एमजीबी की अंतिम मांग रखी। जबकि प्रबंधन 10 प्रतिशत पर आकर रूक गया।
इधर, बताया गया है कि जेबीसीसीआई की 7वीं बैठक अक्टूबर के पहले सप्ताह में हो सकती है।
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