नई दिल्ली, 30 नवम्बर। आखिरकार कोयला कामगारों के वेतन समझौते का मामला डीपीई (Department of Public Enterprises) की गाइडलाइन पर आकर अटक गया है। जेबीसीसीआई (Joint Bipartite Committee for the Coal Industry) की 7वीं बैठक में कोल इंडिया प्रबंधन ने स्पष्ट कर दिया है कि डीपीई के ऑफिस मेमोरेंड्म में छूट के बगैर वेतन समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता है।
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बुधवार को कोलकाता स्थित कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) के मुख्यालय में आयोजित हुई जेबीसीसीआई की 7वीं बैठक प्रबंधन ने कहा कि डीपीई के ऑफिस मेमोरेंड्म में छूट के बगैर वो केवल वार्ता की जा सकती है, किसी प्रकार का एग्रीमेंट नहीं। यदि छूट के बगैर को एग्रीमेंट किया तो कैग (Comptroller and Auditor General of India) सवाल खड़े करेगा। प्रबंधन ने यह भी स्पष्ट किया गया 10 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनिफिट (MGB) डीपीई की गाइडलाइन से अधिक है। यूनियन की एमजीबी को लेकर 28 फीसदी की अंतिम डिमांड को प्रबंधन ने खारिज कर दिया। प्रबंधन बड़ी मुश्किल से 10.50 फीसदी एमजीबी पर आया, लेकिन यूनियन 28 प्रतिशत से और नीचे आने तैयार नहीं हुआ। लिहाजा बात नहीं बनी और चारों यूनियन ने एकराय होकर आंदोलन पर जाने का रास्ता चुना।
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यहां बताना होगा कि एचएमएस, सीटू, एटक पहले से ही डीपीई में छूट दिलाए जाने को लेकर एकमत थे, लेकिन भारतीय मजदूर संघ के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी डीपीई को कोई मुद्दा नहीं मान रहे थे। श्री रेड्डी ने कहा था कि डीपीई वेतन समझौते में बाधा नहीं है। अन्य यूनियन इसको लेकर गुमराह कर रहे हैं। बताया गया है कि बैठक के दौरान बीएमएस के कोल प्ररभारी श्री रेड्डी एवं एबीकेएमएस के महामंत्री सुधीर घुरडे ने प्रबंधन से सवाल दागा की डीपीई में छूट के बगैर वेतन समझौता क्यों नहीं हो सकता। इसको लेकर प्रबंधन और बीएमएस के नेताओं के बीच खासी बहस भी हुई।
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जेबीसीसीआई की 6वीं बैठक के बाद सीआईएल प्रबंधन ने कोयला मंत्रालय को भेजे पत्र में बताया था कि जेबीसीसीआई के यूनियन सदस्यों को बताया जा चुका है कि डीपीई के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 24/11/2017 में निहित प्रावधानों के तहत ही वेतन समझौते को अंतिम रूप दिया जाना है, जैसा कि डीपीई गाइडलाइन के तहत अन्य सीपीएसई में वेतन समझौता होता है। सीआईएल निदेशक ने अपने पत्र में कहा था कि जब तक डीपीई की गाइडलाइन में छूट नहीं दी जाती कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते को लेकर आगे बढ़ना संभव नहीं है। पत्र में कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन में ओवरलैपिंग की बात भी लिखी गई थी और कहा गया है कि ऐसा होने से कामगारों और अधिकारियों के मध्य वेतन संघर्ष की स्थिति निर्मित होगी।
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सीटू नेता एवं जेबीसीसीआई सदस्य डीडी रामनंदन ने industrialpunch.com से चर्चा करते हुए कहा कि प्रबंधन पहले भी कह चुका है कि डीपीई में छूट के बगैर वेतन समझौता नहीं हो सकता। इस मुद्दे को सीटू जोरशोर से उठा रहा है। कोयला मंत्री के ध्यान में भी डीपीई की गाइडलाइन को लाया गया था। श्री रामनंदन ने कहा कि चारों यूनियन आंदोलन के एकजुट है और यही एक रास्ता है।
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