आरएसएस (RSS) से संबद्ध ट्रेड यूनियन, भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने रियल्टी कंपनी DHFL के डिबेंचर में निवेश किए जाने के बाद कोल माइंस प्रोविडेंट फंड (CMPF) के 722 करोड़ रुपए के नुकसान की सीबीआई (CBI) जांच की मांग की है।
DHFL और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के बीच कथित संबंध की ओर इशारा करते हुए, बीएमएस नेताओं ने मांग रखी कि यूपीए सरकार के दौरान दोषपूर्ण निवेश के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।
बीएमएस से संबद्ध अखिल भारतीय कोयला मजदूर संघ (AKBMS) की 19वीं त्रैवार्षिक बैठक के दौरान केंद्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी की मौजूदगी में मामले में सीबीआई जांच की मांग उठाई गई।
बीएमएस के कोल प्रभारी के. लक्ष्मण रेड्डी ने कहा कि विभागीय जांच चल रही है, लेकिन अब सीबीआई को मामले की जांच करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि फंड डायवर्ट करने के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
बीएमएस के उप महासचिव सुरेंद्र कुमार पांडे ने कहा कि 722 करोड़ रुपए एक निजी कंपनी में कैसे निवेश किए जा सकते हैं? यह पैसा कोयला श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा भुगतान के लिए है। अगर इसे निवेश करना ही था, तो इसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के बॉन्ड या शेयरों में लगाया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि यह पैसा गलत तरीके से DHFL बॉन्ड में निवेश किया गया था और कंपनी के संकट में होने के कारण समय पर इसे वापस भी नहीं लिया गया। DHFL प्रमोटर और वाड्रा पहले से ही कथित भूमि हड़पने के मामले में सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं।
सीएमपीएफ़ कोयला क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक विशेष निधि है, जिसका उपयोग भविष्य निधि और पेंशन बकाया के भुगतान के लिए किया जाता है।
source : Times of India