नई दिल्ली। तमाम विरोध के बावजूद कोयला खान भविष्य निधि संस्थान (CMPFO ) को एक बार फिर ईपीएफओ में मर्जर करने की तैयारी चल रही है। बताया गया है कि इस बार मर्जर अभियान की कमान प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने संहाल रखी है। इस बात की जानकारी ऑल इंडिया कोल वर्कर फेडरेशन (सीटू ) के महासचिव व सीएमपीएफओ ट्रस्टी बोर्ड के सदस्य डीडी रामनंदन ने दी है।

सीटू नेता रामनंदन ने कहा इस बार सीएमपीएफओ को ईपीएफओ में मर्जर की कवायद कोयला मंत्रालय के बजाए पीएमओ कर रहा है। मर्जर को लेकर पीएमओ में दो बार प्रजेंटेशन हो चुका है। योजना यह है कि सीएमपीएफओ को कोयला मंत्रालय से हटाकर श्रम मंत्रालय के ईपीएफओ के अधीन किया जाएगा। कुछ दिनों के लिए ईपीएफओ के एडिशनल कमिश्नर को चार्ज दिया जाएगा। फिर बाद में ईपीएफओ में मर्जर कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बार फिर हम श्रमिक संगठन एकजुट होकर विरोध करेंगे

दो बार पहले भी हो चुकी है कोशिश

कोयला मंत्रालय इससे पूर्व दो बार यह प्रयास कर चुका है। यूनियन के विरोध के कारण कदम पीछे कर लिए गए थे। यहां बताना होगा कि अप्रेल 2017 में मर्जर को लेकर मंत्रालय स्तरीय एक कमेटी बनाई गई थी। इसकी जानकारी बाहर आते ही कोयला उद्योग के श्रमिक संगठनों ने मर्जर के विरोध में 19 से 21 जून 2017 को हड़ताल का नोटिस दे दिया। 18 जून, 2017 को कोलकाता स्थित डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर के यहां संपन्न समझौते में मंत्रालय के उप सचिव ने लिखित में कहा कि मर्जर की कोई योजना नहीं है। इस वर्ष सीएमपीएफओ के कमिश्नर ने मर्जर को लेकर तीन अधिकारियों की एक कमेटी बनाई। इस बारे में 23 अप्रेल, 2020 को रीजनल कमिश्नर वन राजू प्रसाद ने पत्र जारी किया। आंदोलन की चेतावनी के बाद कमिश्नर ने 9 मई, 2020 को जारी पत्र को वापस लेने का बयान जारी किया।

Source : CIL facebook page

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