रायपुर (IP News). देश के विद्युत संयंत्रों में फिर से कोयला संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के 29 अगस्त तक के आंकड़ों के अनुसार 88,887 मेगावाट क्षमता वाले 69 पॉवर प्लांट कोयले की कमी का सामना कर रहे हैं।
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कोयला संकट को देखते हुए शनिवार को बिजली सचिव की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक भी हुई। इसमें विद्युत संयंत्रों में कोयले की स्थिति की निगरानी और इनकी आपूर्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से एक कोर मैनेजमेंट टीम (सीएमटी) बनाने का फैसला लिया गया। हालांकि विद्युत मंत्रालय में इस तरह की एक कमेटी पहले से काम कर रही है।
इधर, पॉवर हब कहे जाने वाले राज्य छत्तीसगढ़ स्थित पांच ऐसे विद्युत संयंत्र हैं जहां कोल स्टॉक 2 से 3 दिनों का ही है। 1600 मेगावाट क्षमता वाले एनटीपीसी लारा में 2 दिनों का कोयला भंडार है। कोरबा स्थित छग राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के 500 मेगावाट क्षमता वाले डीएसपीएम में भी 2 दिनों का ही कोल स्टॉक हैं। जबकि डीएसपीएम पिटहेड संयंत्र है, इसके बावजूद यहां कोयले की कमी है।
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निजी क्षेत्र के 600 मेगावाट क्षमता वाले संयंत्र नवापारा टीपीपी में 2 दिनों का कोयला भंडार है। 2980 मेगावाट क्षमता वाले एनटीपीसी सीपत में 3 दिनों का तथा जिंदल के 2400 मेगावाट क्षमता वाले तमनार टीपीपी में 3 दिनों का कोल स्टॉक है।
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