कोयले की किल्लत से जूझ रहे देश भर के कोयला आधारित उद्योगों के लिए बड़ी राहत की बात है कि कोल इंडिया ने ऑक्शन लिंकेज की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। 15 नवंबर, 2021 से शुरू हुई प्रक्रिया 7 दिसंबर, 2021 तक चलेगी। इस ऑक्शन लिंकेज से कोल इंडिया लिमिटेड के सीपीपी उपभोक्ता इसकी सात अनुषंगी कंपनियों से कोयला ले सकेंगे। ऑक्शन लिंकेज ट्रांचे-5 के लिए किया जा रहा है।
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ऑक्शन लिंकेज में सफल बोली लगाने वाले उपभोक्ताओं को फ्यूल सेल एग्रीमेंट (एफएसए) के माध्यम से अगले पांच वर्षों तक निर्धारित दरों में बिना कोई परिवर्तन किए कोयले की आपूर्ति की जाएगी। परंतु इस दफा किया जा रहा ऑक्शन लिंकेज अपने पूर्ववर्तियों से अलग है। इस ऑक्शन लिंकेज में वह प्रावधान हटा दिया गया है जिसके अनुसार तीन वर्ष के बाद उपभोक्ता कोल इंडिया से किए गए एफएसए से बाहर निकल सकते थे। ट्रांचे-5 के ऑक्शन लिंकेज के अनुसार, अब कोल इंडिया के साथ एफएसए के बाद उपभोक्ता अगले पांच वर्षों के लिए बंध जाएंगे। उपभोक्ता एग्रीमेंट से बाहर नहीं आ सकेंगे। यह भी प्रावधान रखा गया है कि यदि उपभोक्ता पांच वर्ष से पहले किसी भी वजह से एग्रीमेंट से बाहर आएंगे तब उसके द्वारा कोल इंडिया के पास जमा की गई अनेस्ट मनी राजसात हो जाएगी। इतना हीं नहीं, उस उपभोक्ता को भविष्य में कोल इंडिया के ऑक्शन लिंकेज में भाग लेने से रोका जा सकेगा।
कोल इंडिया के इस कदम पर विश्लेषकों का मानना है कि देश के कोयला आधारित उद्योगों के लिए यह पहल निश्चित ही राहत देने वाला है पर सिर्फ फौरी तौर पर। लंबी समयावधि के नजरिए से, ट्रांचे-5 के ऑक्शन लिंकेज से भविष्य में उपभोक्ताओं के उत्पादन लागत पर बड़ा नकारात्मक असर पड़ सकता है। पूर्व के ऑक्शन लिंकेज में यह प्रावधान रखा जाता था कि उपभोक्ता तीन वर्ष के बाद कभी भी एफएसए को समाप्त कर सकते थे। ज्यादातर उपभोक्ता इस विकल्प का इस्तेमाल तब करते थे जबकि उन्हें स्पॉट ऑक्शन के जरिए या अन्य माध्यमों से कोल इंडिया के मुकाबले सस्ता कोयला मिल जाया करता था। दरअसरल, इसके पीछे उपभोक्ताओं की मंशा यही होती थी कि वे अधिक से अधिक मात्रा में सस्ता कोयला लेकर अपने उत्पादन लागत को कम रखते हुए प्रचालन बरकरार रखें।
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अब जबकि ऑक्शन लिंकेज से उपभोक्ताओं के पास तीन वर्ष के बाद एफएसए से बाहर निकलने का रास्ता खत्म हो जाएगा तब उनके उत्पादन लागत में बढ़ोत्तरी की आशंका होगी। यदि ऐसा हुआ तो उपभोक्ता न तो कोल इंडिया से कोयले की कीमतें घटाने की गुहार लगा पाएंगे न ही वैधानिक रीति से कोल इंडिया ही इसके लिए सक्षम होगा।
विश्लेषक यह भी बताते हैं कि ट्रांचे-5 के ऑक्शन लिंकेज में बोली लगाने वाले उपभोक्ताओं के बीच अधिक से अधिक कोयला प्रीमियम दरों पर सुरक्षित कर लेने की होड़ मची हुई है। इससे कोयले की कीमतें सामान्य से अधिक बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। विश्लेषक कहते हैं कि अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी को देखते हुए सरकार के पास इस बात के अलावा और कोई विकल्प नहीं है वह कोयला का उत्पादन बढ़ाने के लिए कोल क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ावा दे। कोल क्षेत्र में कोल इंडिया लिमिटेड का एकाधिकार समाप्त होने से कोयले की दरें नीचे जाएंगी जिससे औद्योगिक उत्पादों की कीमतें भी नियंत्रित हो जाएंगी।
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