नई दिल्ली, 05 जून। कोयला खदानें पर्यावरण को दूषित करने का काम भी करती हैं। देश में प्रमुख रूप से कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और अनुषांगिक कंपनियों द्वारा कोयला उत्पादन और इसका परिवहन किया जाता है।
यह जानना जरूरी है कि सीआईएल और अनुषांगिक कंपनियों द्वारा नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत पर्यावरण संरक्षण के लिए कितना व्यय किया जा रहा है।
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कोल इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार तीन वर्षों (2018-19, 2019-20, 2020- 21) में कोल इंडिया एवं अनुषांगिक कंपनियों ने सीएसआर में 1558.01 करोड़ रुपए व्यय किए, लेकिन पर्यावरण संरक्षण के लिए महज 3.55 फीसदी यानी 55.34 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए। इस 55.34 करोड़ में 35.62 करोड़ रुपए की राशि एसईसीएल एवं एमसीएल द्वारा खर्च की गई।
सीएसआर के यह आंकड़े बताते हैं कि कोल इंडिया लिमिटेड पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उतनी गंभीर नहीं है, जितने की दावे किए जाते हैं।
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कंपनीवार सीएसआर के तहत किया गया कुल व्यय (राशि करोड़ में) :
ईसीएल – 39.50, बीसीसीएल- 13.56, सीसीएल- 150.63, डब्ल्यूसीएल- 19.79, एसईसीएल- 206.53, एनसीएल- 286.83, एमसीएल- 538.00, सीएमपीडीआई- 9.31, सीआईएल मुख्यालय- 9.31, कुल – 1558.01
कंपनीवार पर्यावरण संरक्षण के लिए किया गया व्यय (राशि करोड़ में) :
ईसीएल – 3.58, बीसीसीएल- 0.27, सीसीएल- 3.08, डब्ल्यूसीएल- 0.90, एसईसीएल- 17.99, एनसीएल- 10.58, एमसीएल- 17.61, सीएमपीडीआई- 0.21, सीआईएल मुख्यालय- 1.10, कुल – 55.34
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