कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने अपने कामकाज वाले इलाके में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए ऊर्जा दक्षता से जुड़े उपायों पर विशेष जोर दिया है और अपनी सभी कोयला उत्पादक कंपनियों के खनन कार्यों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के उपायों की एक श्रृंखला के साथ इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। ऊर्जा के कुशल उपयोग के लिए तत्काल उपाय करने के अलावा, सीआईएल ने अपने कामकाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी करने की एक महत्वाकांक्षी पांच-वर्षीय योजना भी तैयार की है।
इन कोयला कंपनियों ने विद्युत आपूर्ति के कुशल प्रबंधन के अलावा ऊर्जा दक्षता के उपायों को कालोनियों, भवनों, कार्यालयों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों आदि जैसे कई क्षेत्रों में लागू किया है। हालांकि, कार्बन उत्सर्जन में सबसे बड़ी कमी हेवी अर्थ मूविंग मशीन (एचईएमएम), परिवहन, वेंटिलेशन, पंपिंग आदि जैसे खनन से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों से जुड़ी होती हैं। सीआईएल वर्षों से अपनी सहायक कंपनियों की मदद से ऊर्जा संरक्षण और दक्षता के विभिन्न उपाय करता आ रहा है और अब वह अधिक पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार गतिविधियों पर ध्यान देते हुए इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।
मुख्य जोर सीआईएल द्वारा विभागीय स्तर पर या संविदात्मक रूप से चल रहे एचईएमएम उपकरणों के विशाल बेड़े में बदलाव लाकर उन्हें डीजल की जगह एलएनजी से संचालित करने पर है। यह न केवल लागत में कटौती करने की दिशा में एक बड़ी सफलता होगी, बल्कि इससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। सीआईएल ने एलएनजी का थोक उपयोग शुरू करने से पहले सीआईएल के कुछ खदानों में गेल के सहयोग से पायलट परियोजना शुरू करने की पहल की है। इस परियोजना के तहत गेल एलएनजी भंडारण और वितरण प्रणाली स्थापित करेगा, एलएनजी को टर्मिनल से खदान तक ले जाने की व्यवस्था करेगा और किट एवं रेट्रोफिटिंग की व्यवस्था करेगा।
इस काम के लिए बीईएमएल सभी तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। कमिंस के सहयोग से पूरी पायलट अवधि के दौरान डम्पर और इंजन के प्रदर्शन की निगरानी की जाएगी और उसका अध्ययन किया जाएगा। ओडिशा में महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड की भरतपुर खुले (ओपनकास्ट) खदान में चल रहे इस पायलट परियोजना में से एक इस साल के अंत तक पूरी हो जाएगी। आने वाले वर्षों में अधिकांश भारी वाहनों में बदलाव लाकर उन्हें एलएनजी से संचालित करने के लिए एक व्यापक मॉडल तैयार किया जा रहा है।
इस दिशा में एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि अगले पांच वर्षों की अवधि में सीआईएल के सभी खनन क्षेत्रों में लगभग 1500 ई-वाहन की शुरूआत होगी। अकेले इस साल के अंत तक लगभग 200 ई-वाहनों का परिचालन शुरू हो जाएगा।
खुले और भूमिगत, दोनों प्रकार के खदानों में पानी की पंपिंग पारंपरिक उपकरणों के माध्यम से बड़े पैमाने पर की जाती है जिसकी वजह से ऊर्जा की अधिक खपत होती है। सीआईएल अपने सभी खनन कार्यों में पंपों के लिए ऊर्जा के मामले में दक्ष लगभग 1700 मोटरों का उपयोग शुरू करेगी।
सीआईएल अपने विभिन्न प्रतिष्ठानों में, लगभग 5000 पारंपरिक एसी और अन्य उपकरणों की जगह ऊर्जा के मामले में दक्ष स्टार रेटेड उपकरण लगाएगा। इसी तरह, ऊर्जा की बचत करने के लिए परंपरागत लाइटों के स्थान पर करीब ढाई लाख एलईडी लाइटें लगाई जायेंगी। कार्यालयों में पुराने पंखों को बदलकर उनकी जगह 1 लाख से अधिक ऊर्जा के मामले में दक्ष पंखों का उपयोग किया जाएगा। कॉलोनियों में बिजली बचाने के लिए करीब 2200 स्ट्रीट लाइटों में ऑटो टाइमर लगाए जायेंगे।
सीआईएल ने ऊर्जा दक्षता के उपरोक्त उपायों के कार्यान्वयन से अगले पांच वर्षों में लगभग 2.5 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की परिकल्पना की है। सीआईएल उपरोक्त सभी मोर्चों पर सक्रिय कार्यान्वयन के जरिए इस वर्ष के अंत तक 60000 टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जोकि एक बहुत बड़ी सफलता होगी।
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