प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) अधिनियम, 1957 के तहत तालचेर, ओडिशा में पूर्णकालिक विशेष न्यायाधिकरण के लिए पीठासीन अधिकारी के पद के सृजन को मंजूरी दे दी।

इस निर्णय का उद्देश्य तालचेर कोयला क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण और मुआवजे से संबंधित मामलों का प्रभावी और त्वरित निपटान सुनिश्चित करना है, जिससे क्षेत्र के किसानों और भूमि मालिकों को लाभ होगा। वर्तमान में, तालचेर में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवादों की बढ़ती संख्या को अंशकालिक न्यायाधिकरण संभाल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप 31 मई, 2024 तक 860 मामले लंबित हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए, सरकार तेजी से समाधान सुनिश्चित करने और किसानों एवं भूस्वामियों की अधिक संतुष्टि के लिए विशेष न्यायाधिकरण की स्थापना कर रही है।

पूर्णकालिक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति भूमि अधिग्रहण और मुआवजे से संबंधित विवादों के समाधान में तेजी लाने, प्रभावित भूमि मालिकों के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने और लंबे समय से चले आ रहे बैकलॉग को दूर करने में मदद करके इन मुद्दों का समाधान करेगी।

इसके अलावा, मामले के निपटान की बढ़ी हुई दर सार्वजनिक जवाबदेही में योगदान देगी, कानून के शासन को मजबूत करेगी और क्षेत्र में जीवन की सुगमता में सुधार करेगी। यह भूमि संबंधी विवादों को अधिक कुशलता से हल करके कोयला उत्पादन बढ़ाने के सरकार के व्यापक उद्देश्य का भी समर्थन करेगी।

विशेष न्यायाधिकरण के पास सिविल अदालत की शक्तियां होंगी, जो उसे गवाहों को बुलाने, दस्तावेजों की जांच करने और गवाह के लिए कमीशन जारी करने की अनुमति देगी। इससे इन विवादों के निपटारे के लिए कानूनी ढांचे को मजबूती मिलेगी।

इन मामलों को तेजी से हल करके, न्यायाधिकरण न केवल किसानों और भूमि मालिकों को राहत देगा बल्कि कोयला खनन प्रयासों का भी समर्थन करेगा। इससे आर्थिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा में योगदान मिलेगा।

मंत्रिमंडल की मंजूरी और कोयला मंत्री के मार्गदर्शन और समर्थन से, सभी हितधारकों के लिए न्याय सुनिश्चित करने, कुशल कानूनी समाधानों को बढ़ावा देने और देश के प्रमुख कोयला खनन क्षेत्र तालचेर में कोयला उत्पादन में तेजी लाने की सरकार की प्रतिबद्धता का पता चलता है।

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