केंद्रीय कोयला और खान मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि कोयला मंत्रालय ने कोयला आयात कम करने और घरेलू उत्पादन बढ़ने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया है। नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कोयला मंत्री ने कहा कि कोयला मंत्रालय क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने की राह पर आगे बढ़ रहा है। संवाददाता सम्मेलन में कोयला मंत्रालय के सचिव श्री विक्रम देव दत्त, पत्र सूचना कार्यलय के महानिदेशक श्री बी नारायणन, कोयला मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती विस्मिता तेज और कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री संजीव कुमार कस्सी भी उपस्थित थे।

कोयला क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा की आधारशिला बना हुआ है, जो देश के औद्योगिक एवं आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैश्विक स्तर पर पांचवें सबसे बड़े भूगर्भीय कोयला भंडार और दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में कोयला एक अपरिहार्य ऊर्जा स्रोत बना हुआ है, जो राष्ट्रीय ऊर्जा सम्मिश्रण में 55% का योगदान देता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में लगभग 74% बिजली उत्पादन थर्मल पावर प्लांट (टीपीपी) पर निर्भर करता है, जो एक सशक्त और टिकाऊ कोयला क्षेत्र की आवश्यकता की पुष्टि करता है। केंद्रीय कोयला और खान मंत्री ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए मंत्रालय द्वारा की गई प्रगति का उल्लेख किया।

आयात कम करना और घरेलू उत्पादन को मजबूत करना

कोयला मंत्रालय के प्रयासों से आयातित कोयले पर निर्भरता काफी कम हो गई है। अप्रैल और नवंबर 2024 के बीच कोयले के आयात में 5.35% की गिरावट आई थी, जिससे लगभग 3.91 बिलियन डॉलर (30,007.26 करोड़ रुपये) की बचत हुई। विशेष रूप से, घरेलू बिजली संयंत्र मिश्रण के लिए कोयला आयात 23.56% कम हुआ।

मंत्रालय के ‘मिशन कोकिंग कोल’ का लक्ष्य वित्त वर्ष 2029-30 तक घरेलू कोकिंग कोल उत्पादन को 140 मीट्रिक टन तक बढ़ाना है, जिससे इस्पात क्षेत्र में आयात पर निर्भरता कम होगी।

रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन और नीति सुधार

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का कोयला उत्पादन 997.82 मिलियन टन (एमटी) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जो कि पिछले दशक में 5.64% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ, वित्त वर्ष 2014-15 में 609.18 मीट्रिक टन से उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है। अकेले वित्त वर्ष 2023-24 में, उत्पादन पिछले साल की तुलना में 11.71% बढ़ चुका है।

वर्ष 2020 में वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी की शुरुआत के साथ एक ऐतिहासिक नीतिगत सुधार आया, जिससे निजी क्षेत्र की भागीदारी और आधुनिक तकनीकी अपनाने को बढ़ावा मिला है। कोयला मंत्रालय ने जनवरी 2025 तक 184 खदानें आवंटित की हैं, जिनमें से 65 ब्लॉकों को खदान खोलने की अनुमति प्राप्त है। इन ब्लॉकों से कुल उत्पादन 136.59 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जो साल-दर-साल 34.20% की वृद्धि दर्ज करता है। वित्त वर्ष 2024-25 में इसके 170 मीट्रिक टन लक्ष्य से अधिक होने की आशा है।

कोयला क्षेत्र का योगदान और विकास

देश के आठ प्रमुख उद्योगों में से एक कोयले ने उच्चतम विकास दर प्रदर्शित की है, जिसमें पिछले साल की तुलना में दिसंबर 2024 में 5.3% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके अतिरिक्त, कोयला क्षेत्र भारतीय रेलवे के माल ढुलाई राजस्व का करीब 50% हिस्सा है और लगभग 4.78 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में 31,281.7 करोड़ रुपये का अधिशुल्क, जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) योगदान और राज्य जीएसटी संग्रह के साथ राज्य सरकारों को कोयला राजस्व से भी काफी लाभ हुआ है।

कोयला आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त बनाना

निर्बाध कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति और रेलवे और विद्युत क्षेत्र के हितधारकों के साथ समन्वय बैठकों सहित मजबूत संस्थागत तंत्र स्थापित किए गए हैं। परिणामस्वरूप, टीपीपी में कोयले का स्टॉक अब 49 मीट्रिक टन है, जो महाकुंभ अवधि के दौरान लॉजिस्टिक प्रतिबंधों के बावजूद भी लगभग 21 दिनों के लिए पर्याप्त है।

कोयला मंत्रालय ने आपूर्ति दक्षता को और बेहतर करने के लिए फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) पहल शुरू की है, जिसमें 386 एमटीपीए की कुल क्षमता वाली 39 परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इसके अलावा, रेल-सी-रेल (आरएसआर) मोड ने वित्त वर्ष 2022 में 28 मीट्रिक टन से कोयले की आवाजाही को सफलतापूर्वक दोगुना कर वित्त वर्ष 2024 में 54 मीट्रिक टन कर दिया है।

स्थिरता और विविधीकरण प्रयास

कोयला क्षेत्र बड़े पैमाने पर वनीकरण प्रयासों के साथ स्थिरता को अपना रहा है, साल 2024 में 2,372 हेक्टेयर इलाके में 54.06 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत 11 राज्यों में 332 स्थानों पर 10 लाख से अधिक पौधे रोपे गए।

इसके अतिरिक्त, मान्यता प्राप्त प्रतिपूरक वनीकरण के लिए 4,695 हेक्टेयर भूमि की पहचान की गई है और पिछले पांच वर्षों में 1,055 गांवों में 18.63 लाख से अधिक लोगों को कुल 18,513 एलकेएल खदान से उपचारित जल उपलब्ध कराया गया है।

तकनीकी प्रगति और भविष्य की तैयारी

यह क्षेत्र वर्ष 2030 तक 100 मीट्रिक टन के लक्ष्य के साथ कोयला गैसीकरण ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक प्रमुख रणनीति के रूप में उभर रहा है। सरकार ने सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों में कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को सहयोग देने के उद्देश्य से 8,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को भी मंजूरी दी है। राष्ट्रीय कोयला खदान सुरक्षा रिपोर्ट पोर्टल और खदान बंद करने वाले पोर्टल की शुरूआत जिम्मेदार एवं पारदर्शी खनन कार्य प्रणलियों को सुनिश्चित करती है।

मंत्रालय इस क्षेत्र को और आधुनिक बनाने के लिए एक प्रतिस्पर्धी व पारदर्शी बाजार बनाने हेतु कोयला ट्रेडिंग एक्सचेंज की स्थापना पर भी विचार कर रहा है।

जिम्मेदार विकास के प्रति प्रतिबद्धता

कोयला क्षेत्र का परिवर्तन नीति-संचालित सुधारों, टिकाऊ गतिविधियों और तकनीकी प्रगति द्वारा चिह्नित है, जो पर्यावरणीय जिम्मेदारी को प्राथमिकता देते हुए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इन प्रयासों के माध्यम से, भारत कोयला उत्पादन और ऊर्जा आपूर्ति में एक लचीले, आत्मनिर्भर एवं टिकाऊ भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

कोयला मंत्रालय एक सशक्त, कुशल और टिकाऊ कोयला क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो भारत की आर्थिक वृद्धि व ऊर्जा सुरक्षा का समर्थन करता है। कोयला मंत्रालय नीतिगत सुधारों, उत्पादन वृद्धि और पर्यावरणीय गतिविधियों के माध्यम से आत्मनिर्भर कोयला क्षेत्र की दिशा में अपनी प्रगति जारी रखे हुए है।

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