नई दिल्ली, 25 जुलाई। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्ड क्षेत्र में स्थित कोल ब्लॉक्स की नीलामी का लंबे समय से विरोध हो रहा है। यह क्षेत्र वन संपदा, बारिश और जल ग्रहण वाला है। यहां स्थित तारा कोल ब्लॉक (Tara Coal Block) को कॅमर्शियल माइनिंग (Commercial Mining) के तहत नीलामी के लिए सूचीबद्ध किया गया है। तारा के लिए बोली जमा की गई है। यह ब्लॉक 81 फीसदी घने वन क्षेत्र से घिरा हुआ है। सरकार ने कहा है कि पर्यावरण, वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के परामर्श और भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRI), देहरादून की सिफारिश के बाद तारा कोल ब्लॉक को नीलामी के लिए रखा गया। सरकार का यह जवाब आश्चर्यचकित करने वाला है। यह सवाल उठेगा कि ये दोनों संस्थान घने वन क्षेत्र में स्थित कोल ब्लॉक की नीलामी के लिए कैसे सहमत हो सकते हैं?
सोमवार को राज्य सभा में सवाल किया गया था कि छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्ड जंगल में तारा ब्लॉक और मध्य प्रदेश में महान कोयला ब्लॉक जैसे पारिस्थितिक रुप से संवेदनशील वन क्षेत्रों में स्थित कोयला ब्लॉकों की नीलामी करते समय किन मानदंडों और सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखा गया।
कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी का लिखित जवाब इस तरह आया:
“पर्यावरण, वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी) के परामर्श से नीलामी के लिए छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्ड जंगलों में तारा ब्लॉक और मध्य प्रदेश में महान कोयला ब्लॉक की पहचान की गई थी। पर्यावरणीय प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खनन की भूमिगत पद्धति हेतु नीलामी के लिए महान कोयला ब्लॉक पर विचार किया गया है, जबकि भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई), देहरादून द्वारा हसदेव अरंड कोयला क्षेत्र में किए गए जैव-विविधता अध्ययन की सिफारिशों के आधार पर नीलामी के लिए तारा ब्लॉक पर विचार किया गया है।
इसके अतिरिक्त, मंजूरी प्रक्रिया, अर्थात कोयला खनन परियोजनाओं के लिए वन मंजूरी (FC) और पर्यावरण मंजूरी (EC), पर्यावरण, वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी), विशेष रूप से इसकी विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियों और सांविधिक निकाय जिसे वन सलाहकार समिति (FAC) कहा जाता है, द्वारा अभिशासित होती है। भारत में पर्यावरण, वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय कोयला खनन परियोजना को मंजूरी देने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, वन और वन्यजीव प्रभाव, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, वायु और जल गुणवत्ता, पर्यावरणीय विनियमों का अनुपालन, सार्वजनिक परामर्श, निगरानी तथा अनुपालन कार्यतंत्र जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विशिष्ट कारक और विचार परियोजना के पैमाने, स्थान और संभावित प्रभावों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।”
यहां बताना होगा कि कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) द्वारा कमॅर्शियल माइनिंग के 7वें दौर की नीलामी में छत्तीसगढ़ की 23 कोयला खदानों को सूचीबद्ध किया गया था। 28 जून को खोली गईं तकनीकी बोलियों में राज्य की केवल चार कोयला खानों के लिए ही बोली मिली। इनमें तारा (Tara) एक ऐसा कोल ब्लॉक है, जो घने वनक्षेत्र में स्थित है। हसदेव अरण्ड कोलफील्ड्स में स्थित तारा कोल ब्लॉक 24 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें 81 फीसदी क्षेत्र में वन है। ये इलाका घने वन होने के कारण अच्छी बारिश वाला भी है। यहां औसतन 1500 एमएम बारिश होती है। तारा ब्लॉक में 336.912 मिलियन टन कोयला भंडारित है। पूर्व में इस ब्लॉक को छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलेपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड को आबंटित किया गया था। तारा कोल ब्लॉक की नीलामी का निरंतर विरोध हो रहा है। क्षेत्र के लोग इसकी मुखालफत कर रहे हैं।