कोयला मंत्रालय ने उन कैप्टिव कोयला ब्लॉकों के आवंटियों के साथ कोयले के उत्पादन की समीक्षा की है, जिनके कोयला ब्लॉकों में वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान या तो उत्पादन शुरू हो गया है या उत्पादन शुरू होने की संभावना है।
इस बैठक की अध्यक्षता कोयला सचिव डॉ. अनिल कुमार जैन ने की। उन्होंने इस बात की प्रशंसा की कि 2021-22 के दौरान कैप्टिव कोयला ब्लॉकों से कोयला उत्पादन 85 मिलियन टन (एमटी) रह था, जो पिछले वर्ष यानी 2020-21 के दौरान हुए 63 मिलियन टन उत्पादन से लगभग 35 प्रतिशत अधिक है। कोयले के इस बढ़े हुए उत्पादन ने घरेलू बाजार में मांग और आपूर्ति के मध्य अंतर को कम करने में मदद की है।
कोयला मंत्रालय ने कैप्टिव (निजी) खदानों से कोयले के उत्पादन को बढ़ाने के लिए लगातार पहल की है जिनमें कोयला क्षेत्र को उदार बनाने वाले नियमों और कानूनों में विभिन्न संशोधन, परियोजना समर्थकों और राज्य सरकारों के साथ कोयला खानों को संचालित करने के लिए नियमित समीक्षा बैठकों का आयोजन, कोयला खदानों को शुरू करने के लिए विभिन्न वैधानिक मंजूरी प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने के लिए एक परियोजना प्रबंधन इकाई की नियुक्ति आदि शामिल हैं। इन पहलों के परिणाम अब आने शुरू हो गए हैं।
वर्तमान में, सीएमएसपी अधिनियम, 2015 के तहत मंत्रालय के नामित प्राधिकरण द्वारा 106 कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। 47 कोयला ब्लॉकों के लिए खदान खोलने की अनुमति प्राप्त हो गई है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान यह संख्या बढ़कर 60 कोयला ब्लॉक हो जाएगी।
परिचालित कोयला ब्लॉकों की वार्षिक अधिकतम दर क्षमता लगभग 230 मीट्रिक टन होगी और वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कोयला उत्पादन बढ़कर 140 मिलियन टन से अधिक हो जाएगा। इन उपायों से थर्मल कोयले के आयात में काफी कमी आएगी और काफी विदेशी मुद्रा बचाने में मदद मिलेगी।
बैठक के दौरान डॉ. अनिल कुमार जैन ने कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटियों के पास कोयला उत्पादन बढ़ाने का सुनहरा अवसर है क्योंकि वर्तमान में आयातित कोयले के मूल्य बहुत अधिक हैं और देश की बिजली मांग में बढ़ोतरी होने के कारण थर्मल कोयले की मांग में भी बढ़ोतरी होगी।
कैप्टिव कोयला ब्लॉकों के लिए कोयले की 50 प्रतिशत बिक्री की अनुमति दी गई है और ऐसे मामलों में भी कोयले के उत्पादन में बाधा नहीं आएगी जहां अंतिम उपयोग-संयंत्र चालू नहीं हैं। वाणिज्यिक खनन के लिए नए कोयला ब्लॉक आवंटित किए जा रहे हैं और संभावित बोलीदाताओं ने ऐसे ब्लॉकों के लिए उत्साहजनक प्रतिक्रिया दर्शायी है। इनमें से कुछ ब्लॉकों ने आवंटन के एक साल में ही कोयले का उत्पादन शुरू कर दिया है।
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