नई दिल्ली, 16 मार्च। यह स्पष्ट था कि लोक उद्यम विभाग (DPE) द्वारा नवम्बर 2017 को जारी ऑफिस मेमोरेंडम में छूट के बग़ैर कोयला कामगारों का 11वां वेतन समझौता पूरा नहीं हो सकता। 13 मार्च, 2023 को कोयला मंत्रालय द्वारा कोल इंडिया चेयरमैन को लिखे पत्र से यह और पुख़्ता हो गया है। कर्मचारियों का वेतन गैर संघीय पर्यवेक्षकों से अधिक नहीं होना चाहिए, पत्र में इसे स्पष्ट करने कहा गया है।
इधर, आरएसएस के मजदूर संगठन भारतीय मज़दूर संघ के कोल प्रभारी एवं जेबीसीसीआई सदस्य के. लक्ष्मा रेड्डी डीपीई को बाधा नहीं मान रहे हैं। श्री रेड्डी लगातार यह राग अलाप रहे हैं कि डीपीई को लेकर अन्य श्रमिक संगठनों द्वारा कोयला कामगारों को गुमराह किया जा रहा है। श्री रेड्डी ने अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के दूसरे नेताओं को भी अपनी तरह राग अलापने की हिदायत दे रखी है। सीटू के डीडी रामनंदन प्रारंभ से ही डीपीई के ऑफिस मेमोरेंडम में छूट देने की बात जोरशोर से रख रहे हैं। HMS, AITUC नेता भी इस मसले पर श्री रामनंदन से सहमत रहे हैं और सीआईएल प्रबंधन के समक्ष डीपीई रूपी बाधा के मुद्दे को उठाते रहे हैं।
दरअसल बीएमएस के कोल प्रभारी श्री रेड्डी केन्द्र सरकार और इसके मंत्रालयों की मुख़ालफ़त नहीं करना चाहते हैं। इसकी एक वजह यह है कि आरएसएस केन्द्र की सत्ता पर काबिज़ भाजपा सरकार का पितृ संगठन है और भारतीय मजदूर संघ आरएसएस का यूनियन है। श्री रेड्डी को लगता है कि डीपीई के खिलाफ बोलना यानी केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा करना होगा। डीपीई वित्त मंत्रालय के अधीन है। दूसरा यह कि श्री रेड्डी पर कोल इंडिया प्रबंधन से स्वहित साधने के आरोप भी लगते रहे हैं। इसको लेकर बीएमएस के राष्ट्रीय महामंत्री रहे बिनय सिन्हा ने श्री रेड्डी को नसीहत भी दी थी, लेकिन इसके बाद उनसे इस्तीफा ले लिया गया।
कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते को लेकर चारों यूनियन एक मंच पर रही है, लेकिन डीपीई के मामले में बीएमएस ने नरम रुख़ अपना रखा है। इस नरम रुख़ की अगुवाई के. लक्ष्मा रेड्डी कर रहे हैं। 11वें वेतन समझौते के तहत 3 जनवरी को 19 फीसदी एमजीबी पर सहमति बनने के बाद भी अब तक इस पर आधिकारिक मुहर नहीं लग सकी है। मामला डीपीई में स्वीकृति के लिए लटका हुआ है। डीपीई के नवम्बर 2017 के ऑफिस मेमोरेंडम को शिथिल किए बग़ैर 19 फीसदी एमजीबी को मंजूरी मिलेगी, इसकी गुंजाइश कम है।
कोयला मंत्रालय ने सीआईएल को पत्र में यह लिखा है
कोयला मंत्रालय के सेक्शन ऑफिसर ने 13 मार्च, 2023 को अपने पत्र में कोल इंडिया चेयरमैन को लिखा है कि उनके प्रस्ताव में कर्मचारियों ए-वन की तुलना अधिकारियों के ई-3 से की गयी है। यह स्पष्ट करें कि क्या इ-वन और ई-2 का वेतन गैर संघीय पर्यवेक्षकों का है। यदि हां, तो डीपीई के 24 नवंबर, 2017 को जारी दिशा-निर्देश के अनुसार कर्मचारियों का वेतन गैर संघीय पर्यवेक्षकों से अधिक नहीं होना चाहिए। कोल इंडिया को इसे स्पष्ट करना चाहिए। पत्र में कहा गया है कि डीपीई के दिशा- निर्देशों के अनुसार, कार्यकारी और गैर कार्यकारी वेतनमान की तुलना में कोल इंडिया केवल मूल वेतन और को ध्यान में रख सकता है। मंत्रालय ने कर्मियों के ग्रेड ए-वन और अधिकारी ई-वन का तुलनात्मक विवरण मांगा है। इसमें कर्मियों के 10वें वेतन समझौता 1.7.2016, 11वें वेज बोर्ड 1.7.2021 और 12वां वेज बोर्ड, जो 1.7.2026 से लागू होगा तथा अधिकारियों का 1.1.2017 में लागू हुआ, के बारे में जानकारी देनी है। यह वास्तविक गणना पर आधारित होगा।