वाराणसी, 27 मार्च। सोमवार को कोयला पेंशनभोगियों को उनके वैध पेंशन संशोधन और उसकी वृद्धि से वंचित करने के विरोध में धरना प्रदर्शन किया गया। वाराणसी स्थित शास्त्री घाट में ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ कोल पेंशनर्स एवं कोल एग्जीक्यूटिव (AICPA & AIACE) द्वारा आयोजित एक दिवसीय में यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, केरल और अन्य राज्यों के कोयला पेंशनभोगी जुटे।
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अखिल भारतीय कोयला पेंशनभोगी संघ के संयोजक पीके सिंह राठौर ने बताया कि कोयला कर्मचारी अंशदायी कोयला खान पेंशन योजना (सीमपीएस-1998) के अंतर्गत आते हैं, जो कोयला मंत्रालय के अधीन कार्यरत कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीमपीएफओ) द्वारा संचालित है। इस योजना में सेवानिवृत्ति के समय एक बार निर्धारित पेंशन राशि जीवन भर स्थिर रहती है। योजना के निर्माताओं ने परिकल्पना की थी कि इस कोष की आय से उत्पन्न कोष भविष्य में पेंशन की समीक्षा करने और बढ़ाने के लिए पर्याप्त रहेगा, लेकिन, फंड प्रबंधन की विभिन्न अनियमितताओं और कुप्रबंधन के कारण फंड की कमी हुई।
कोयला मंत्रालय से संबंधित लोक लेखा समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यद्यपि 1998 में लागू की गई योजना में प्रत्येक 3 वर्षों में समीक्षा और संशोधन के प्रावधान थे, लेकिन इसे नियमित रूप से कभी नहीं किया गया और इसने पेंशन योजना के पुनर्गठन की सिफारिश की है।
कोयला पेंशनभोगी ये चाहते हैं :
- कोयला खदान पेंशन योजना के पुनर्गठन के लिए लोक लेखा समिति की 12वीं रिपोर्ट में निहित सुझावों पर त्वरित कार्यान्वयन (18 मार्च, 2020 को संसद में प्रस्तुत)
- कोयले पर उपकर को मौजूदा 10 रुपये प्रति टन कोयले से बढ़ाकर उच्च मूल्य निर्धारण करने की अल्पकालिक रणनीति के बजाय, फंड के कुप्रबंधन के कारण खोए हुए धन की भरपाई करने का निर्णय तत्काल लिया जाना चाहिए और वर्तमान उपकर को कोयले की कीमत से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि जब भी कोयले का विक्रय मूल्य बढ़ाया जाता है, उस अनुपात में उपकर भी बढ़ सकता है।
- पूरे कॉर्पस को फंड के क्षरण से सुरक्षित उच्च उपज वाले वित्तीय साधनों में निवेश करना सुनिश्चित हो।
- पेंशन की समीक्षा और वृद्धि तथा महंगाई राहत को शामिल किया जाए।
- बीमार व पंगु सीमपीएफओ को समाप्त कर इसकी जिम्मेदारियां सीआइएल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को स्थानांतरित हो ताकि फंड का बेहतर प्रबंधन व पीएसी द्वारा सुझाए गए आवश्यक पुनर्गठन हो सके।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि कई कोयला पेंशनरों को मासिक पेंशन के रूप में 1000 रुपये से कम मिल रहा है।
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श्री राठौर ने कहा कि आज के धरने के माध्यम से हम कोयला पेंशनभोगियों की दुर्दशा की ओर प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं और हम उनको अनुरोध करते हैं कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करे और संबंधित मंत्रालय और अधिकारियों को मुद्दों को हल करने और महंगाई राहत शुरू करके पेशन में वृद्धि सुनिश्चित करने का निर्देश दें।