कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) के 8 नवंबर, 2024 तक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, कैप्टिव और वाणिज्यिक खदानों से भारत का कोयला उत्पादन 100 मिलियन टन (MT) से अधिक हो गया है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण की दिशा में राष्ट्र की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस वित्त वर्ष में यह आंकड़ा लगभग 100 दिन पहले हासिल किया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष में जनवरी 2024 में हासिल हुआ था।
1 अप्रैल 2024 से 8 नवंबर 2024 की अवधि के दौरान कैप्टिव/कमर्शियल कोयला खदानों से उत्पादन 100.08 मीट्रिक टन रहा, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में इसी अवधि के दौरान कुल उत्पादन 75.05 मीट्रिक टन था, जो सालाना आधार पर 33% की वृद्धि दर्शाता है। इसी तरह, 1 अप्रैल 2024 से 8 नवंबर 2024 की अवधि के दौरान कैप्टिव/कमर्शियल कोयला खदानों से कुल प्रेषण 107.81 मीट्रिक टन रहा, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में इसी अवधि के दौरान कुल प्रेषण 80.23 मीट्रिक टन था, जो सालाना आधार पर 34% की वृद्धि दर्शाता है।
उल्लेखनीय रूप से, भारत के कुल कोयला उत्पादन में कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है, जिससे कोयला क्षेत्र में सुधारों की सफलता प्रदर्शित होती है और ऊर्जा संसाधनों में आत्मनिर्भरता की दिशा में राष्ट्र के मार्ग को मजबूत करता है। कोयला मंत्रालय 2024-25 में कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला ब्लॉकों से 170 मिलियन टन से अधिक उत्पादन लक्ष्य तक पहुंचने के बारे में आशावादी है।
यह उपलब्धि कोयला क्षेत्र में भारत की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाती है और ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास की दिशा में देश की प्रगति में एक महत्वपूर्ण सुधार का प्रतिनिधित्व करती है, जो सरकार के विकसित भारत 2047 लक्ष्यों के साथ पूरी तरह जुड़ी हुई है। देश के कुल कोयला उत्पादन में कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला उत्पादन की बढ़ती हिस्सेदारी इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में नीतिगत सुधारों और निजी क्षेत्र की भागीदारी की सफलता को रेखांकित करती है। कोयला मंत्रालय पर्यावरण का ध्यान रखने वाले खनन के तौर तरीके सुनिश्चित करते हुए इस वृद्धि को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखता है।