भारत के कोयला क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में 223.36 मिलियन टन (MT) का अब तक का सर्वाधिक कोयला उत्पादन (Coal Production) दर्ज करके एक उल्लेखनीय उपलब्धि अर्जित की है। इस प्रकार वित्त वर्ष 2022-23 की इसी अवधि की तुलना में हुए 205.76 मीट्रिक टन उत्पादन की तुलना में 8.55 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है।
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कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने अप्रैल और जून 2023 के मध्य 175.48 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए 159.75 मीट्रिक टन की उत्पादन की तुलना में 9.85 प्रतिशत की प्रशंसनीय वृद्धि दर को दर्शाता है। कोयला उत्पादन में हो रही यह लगातार वृद्धि भारत की ऊर्जा मांगों को पूरा करने और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
जबकि अप्रैल 2023 से मई 2023 के दौरान कोयले का आयात पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 16.76 प्रतिशत बढ़ गया है। यह उल्लेखनीय है कि आयात में यह वृद्धि मुख्य रूप से कोयले के आयात मूल्यों में हुई भारी गिरावट के कारण हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में कोयले के आयात मूल्यों में 60 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज हुई है।
परिणामस्वरूप, सीआईएल के अधिसूचित मूल्यों में ई-नीलामी प्रीमियम में उल्लेखनीय कमी देखी गई है, जो जून 2022 में 357 प्रतिशत से घटकर जून 2023 में 54 प्रतिशत हो गई है। इस गिरावट का मुख्य कारण आयात मूल्यों में तेजी से गिरावट आना है। कोयला नीलामी पर प्रीमियम उद्योग की वस्तुस्थिति को दर्शाता है। कोयला नीलामी प्रीमियम में तेजी से गिरावट घरेलू बाजार में कोयले की पर्याप्त उपलब्धता की संकेतक है। आयात मूल्यों में इस गिरावट ने कोयले के आयात परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जहां तक कोयले की उपलब्धता का संबंध है, देश में जून 2023 के अंत के दौरान कोयले का पर्याप्त भंडार उपलब्ध रहा है, जो 107.15 मीट्रिक टन (कोयला कंपनियों के पास 67 मीट्रिक टन, टीपीपी (डीसीबी) के साथ 33.61 मीट्रिक टन और निजी वाशरीज/गुड शेड साइडिंग/बंदरगाहों पर 6.54 मीट्रिक टन) है, अब पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 37.62 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। कोयले के पर्याप्त भंडार की उपलब्धता कोयले पर निर्भर विभिन्न क्षेत्रों के लिए निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करती है, जिससे राष्ट्र की समग्र ऊर्जा सुरक्षा में योगदान प्राप्त होता है।
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कोयले के उत्पादन में भारत की यह उपलब्धि कोयला उद्योग के ठोस प्रयासों और देश की बढ़ती हुई ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। रिकॉर्ड तोड़ने वाले आंकड़े न केवल उद्योग के लचीलेपन को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि सतत विकास के लिए प्रयास करते हुए बाजार की स्थितियों के अनुकूल होने की अपनी क्षमता को भी दर्शाते हैं।