कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार देश के सबसे बड़े व्यापार को अक्षय तृतीया के एन मौके पर बेच रही है और वह है लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन, जिसे 1956 में पंडित जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभ भाई पटेल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने संजोया था और फिर ब्रिक बाय ब्रिक, एक-एक ईंट, एक-एक रोड़े से बनाया था, जो इस देश की मल्कियत है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, “एलआईसी का नारा है – ‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी’। तो हम मोदी जी से पूछ रहे हैं फिर इतनी जल्दबाजी क्यों? सच यह है कि ‘माले मुफ्त, दिले बेरहम’। ये एक पुरानी इस देश की कहावत है। दशकों से 140 करोड़ लोगों के खून-पसीने की कमाई व कर से खड़ी की गई कंपनियां व सार्वजनिक उपक्रम पब्लिक सेक्टर अंडर टेकिंग फायर सेल में मोदी जी बेच रहे हैं। उनको दोनों हाथों से बेरहमी से लुटा रहे हैं और अब बारी आई है एलआईसी जैसी सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़ी कंपनी की। इसका अवमूल्यन कैसे हो गया?”
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ऐसे समय में एलआईसी का ईपीओ ला रही है जब वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता छाई हुई है, बाजारों में उतार-चढ़ाव का माहौल है जिस पर कई किस्म के सवाल भी खड़े होते हैं। आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों है सरकार को एलआईसी को बेचने की।
कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार देश के सबसे बड़े व्यापार को अक्षय तृतीया के एन मौके पर बेच रही है और वह है लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन, जिसे 1956 में पंडित जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभ भाई पटेल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने संजोया था और फिर ब्रिक बाय ब्रिक, एक-एक ईंट, एक-एक रोड़े से बनाया था, जो इस देश की मल्कियत है।
सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि जब फरवरी 2022 में एलआईसी का वैल्युएशन 12 लाख करोड़ था तो सिर्फ दो महीने में इसका वैल्युएशन घटकर आधा यानी 6 लाख करोड़ कैसे रह गया?
कांग्रेस नेता ने कहा कि दरअसल जनवरी-फरवरी से ही एलआईसी के शेयर मूल्यों को कम करने की कोशिशें की जा रही थीं। तब एलआईसी का शेयर मूल्य करीब 1100 रूपए था और अब सरकार ने कहा है कि वह एलआईसी आईपीओ में मात्र 902 से 949 रुपए के बीच एलआईसी का शेयर बेचेगी।
उन्होंने पूछा कि फरवरी 2022 में मोदी सरकार ने औपचारिक रोडशो क जरिए बड़े निवेशकों को लुभाने की कोशिश की और तय किया कि एलआईसी में 5 फीसदी हिस्सेदारी 70,000 करोड़ रुपए में बेची जाएगी। लेकिन इस लक्ष्य को अब घटाकर सिर्फ 21,000 करोड़ कर दिया गया है और इसके बदले कंपनी की 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बाजार के हवाले की जा रही है।
उन्होंने कहा कि आखिर मोदी सरकार एलआईसी के मुख्य 4 बिंदुओं को क्यों अनदेखा कर रही है। एलआईसी की आरओई यानी रिटर्न ऑन इक्विटी, एलआईसी की सालाना ग्रोथ, कंपनी द्वारा जुटाए गए प्रीमियम में साला बढ़ोत्तरी और इसके शेयर की कीमतें। आखिर किसी कंपनी का वैल्युएशन किया जाता है तो इन मुख्य बिंदुओं पर गौर किया जाता है।लेकिन एलआईसी के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया गया।
In Feb 22, the Modi govt conducted formal roadshows for big ticket investors, to pick up Rs 70,000 Cr by selling a 5% stake in the company.
This target has now been reduced to Rs 21,000 Cr by selling 3.5% stake.: Shri @rssurjewala pic.twitter.com/HQInWqPu7V
— Congress (@INCIndia) May 3, 2022
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