नई दिल्ली, 09 जुलाई। भारतीय झंडा संहिता- 2022 में किए गए संशोधन को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। इसके विरोध में कांग्रेस द्वारा 30 जुलाई को ध्वज सत्याग्रह किया जाएगा।
यहां बताना होगा कि भारतीय तिरंगे को कब, कहां, कैसे उपयोग, प्रदर्शन और फहराना है आदि को लेकर भारत का झंडा संहिता 2002 प्रभावी है। भारतीय झंडा संहिता, 2002 के कुछ बिंदुओं को 30 दिसंबर, 2021 के एक आदेश द्वारा संशोधित किया गया था, जिसके तहत राष्ट्रीय झंडा हाथकरघा से या हाथ से बुने हुए या मशीन से बने, सूती, पॉलिस्टर, ऊन, रेशमी, खादी से बनाया जा सकता है। इससे पहले हाथकरघा से या हाथ से बुने हुए खादी के कपड़े से ही ध्वज बनाने की अनुमति थी।
पॉलिस्टर राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण और आयात की अनुमति देने के लिए राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन करने की बीजेपी की कथित योजना के विरोध में कांग्रेस 30 जुलाई को ध्वज सत्याग्रह करेगी। पार्टी ने कहा कि तिरंगा राष्ट्र की स्वतंत्रता और संप्रभुता का प्रतीक है। इसकी खादी दर्शाती है कि कैसे भारत के लोगों ने आत्मनिर्भरता, आध्यात्मिक विनम्रता, राष्ट्रीय अखंडता, सामाजिक समानता, सांप्रदायिकता के प्रतीक साधारण चरखे का उपयोग करके शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को हराया।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी जी के लिए तिरंगा सिर्फ एक गमछा है। उनके लिए खादी कोई मायने नहीं रखता है।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता अजय कुमार ने कहा, ये बीजेपी और उसके पूर्ववर्तियों के लिए अलग- अलग मूल्य हैं जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन, राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइन या खादी को लोकप्रिय बनाने में कोई भूमिका नहीं निभाई।
प्रवक्ता ने कहा इसके मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने नागपुर मुख्यालय में तिरंगा फहराने से आधी सदी तक इनकार कर दिया। राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करने से दूर, इसने 26 जनवरी, 2001 को आरएसएस परिसर में तिरंगा फहराने के प्रयास में तीन कार्यकर्ताओं (मामला संख्या 176, नागपुर) को गिरफ्तार किया था। भाजपा वही पार्टी है जिसके पदाधिकारी आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए जाने जाते हैं। जब हमारे यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने 26 जनवरी 2001 को आरएसएस मख्यालय में तिरंगा फहराने की कोशिश की तो उनके ऊपर केस कर दिया गया।
कांग्रेस ने कहा कि कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ एकमात्र इकाई है जिसे खादी राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए लाइसेंस दिया गया है और इस निर्णय के परिणामस्वरूप बंद का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अपने ध्वज सत्याग्रह से पूरी तरह से जुड़ती है और सभी राष्ट्रवादी ताकतों से इसमें शामिल होने का आग्रह करती है।
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