गुरुवार, 2 अप्रैल को राज्य सरकार ने इस मामले में एक नोटिफिकेशन जारी किया है। चीफ मिनिस्टर ऑफिस के सेक्रेटरी अश्वनी कुमार ने बताया कि इस नोटिफिकेशन से फैक्टरी में काम करने वाले 18 लाख मजदू्रों, रजिस्टर्ड कॉन्ट्रैक्टर्स के 25 लाख लेबर और दुकानों में काम करने वाले 12 लाख कर्मचारियों को राहत मिली है।
कुमार ने कहा, “लॉकडाउन के दौरान कोई भी मालिक या कंपनी अपने कर्मचारियों या मजदूरों की छंटनी नहीं कर सकती है। कंपनियों को उन्हें वक्त पर और पूरी सैलरी देनी होगी। जो लोग इसे नहीं मानेंगे उनके खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई होगी।”
उन्होंने कहा कि इस दौरान घरों में काम करने वालों को भी पूरी सैलरी मिलनी चाहिए। लॉकडाउन के दौरान उन्हें नौकरी से नहीं निकाला जा सकता। एक अन्य अधिकारी ने ट्वीट करके बताया कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के सेक्शन 51 के तहत उन लोगों को एक साल की सजा हो सकती है जो अपने कामगारों को नौकरी से निकालते या सैलरी नहीं देते हैं। गुजरात की सरकार ने यह कदम ऐसे दौर में उठाया है जब लॉकडाउन के बाद राज्य से हजारों प्रवासी मजदूर घर लौट रहे हैं।