- मरकज में हजारों लोगों की आवाजाही जारी रही
- पुलिस ने मरकज के किसी पदाधिकारी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया
- मरकज में बीमार मौलवियों को बाहर नहीं निकाला गया
निजामुद्दीन मरकज को खाली कराने के लिए अगर समय पर पुलिस कार्रवाई हो जाती तो आज देश में कोरोना संक्रमण को लेकर इतना हड़कंप न मचता। इस मरकज पर दिल्ली पुलिस ही नहीं, बल्कि केंद्रीय एजेंसियों की नजर भी रहती है। वजह, यहां सालभर विदेशों से लोगों का आना-जाना होता है।
दिल्ली पुलिस का एक एसआई तो हर समय मरकज में ही ड्यूटी देता है। मरकज के साथ ही पुलिस स्टेशन है। पुलिस को यहां की हर गतिविधि की जानकारी थी, इसके बावजूद समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई।
दिल्ली पुलिस के बड़े अधिकारियों तक मामले की सूचना पहुंची, फिर भी वहां पर लोगों की मेडिकल जांच नहीं कराई गई। पुलिस के सामने लोग अपनी मनमर्जी से दूसरे राज्यों के लिए रवाना होते रहे।
निजामुद्दीन मरकज में चूंकि विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं, इसलिए केंद्र की कई एजेंसियां अपने तरीके से मरकज की सारी जानकारी लेती रहती हैं। 15 से 20 मार्च के आसपास तो कोरोना को लेकर देश में व्यापक स्तर पर चर्चा होने लगी थी।
पुलिस के पास भी यह जानकारी थी। कहीं भीड़ नहीं जुटनी चाहिए, होली पर यह बात सभी को समझ आ चुकी थी। इतना कुछ होने पर भी पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया। मरकज में हजारों लोगों की आवाजाही जारी रही। पुलिस ने मरकज के किसी पदाधिकारी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया।
दिल्ली पुलिस पर उठे सवालिया निशान
- निजामुद्दीन स्थित मरकज में हर समय दिल्ली पुलिस का एक जूनियर अधिकारी तैनात रहता है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और इंटेलिजेंस यूनिट भी यहां की सारी जानकारी रखती है। सूत्र बताते हैं कि पुलिस सब इंस्पेक्टर ने अपने सीनियर को जानकारी दी थी कि यहां भीड़ जुटी है। ये बात ऊपर तक भी पहुंची। हालांकि अब कहा जा रहा है कि इसकी सही जानकारी आला अधिकारियों को नहीं दी गई। पुलिस की इस लापरवाही ने घटना को इतना बड़ा रूप दे दिया कि अब सारा देश उसका खामियाजा भुगत रहा है।
- दिल्ली सरकार ने 16 मार्च को एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया कि कहीं पर भी एक साथ 50 से ज्यादा लोग एकत्रित नहीं होंगे। जिस वक्त यह आदेश जारी किया गया, उस समय मरकज में करीब ढाई हजार से ज्यादा लोग मौजूद थे। वहां पर लोगों का जुटना दिल्ली सरकार के आदेशों का उल्लंघन था। इसके बाद भी दिल्ली पुलिस ने मरकज को खाली कराना जरूरी नहीं समझा।
- सारी जानकारी होने के बावजूद निजामुद्दीन थाने के एसएचओ ने मरकज के मौलवी को महज एक नोटिस दे दिया। एसएचओ ने अपने सहायक से कह कर वहां का एक वीडिया तैयार कराया। इसमें देश-विदेश के लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है। सूत्रों के अनुसार, यह वीडियो भी बड़े अधिकारियों को भी भेजा गया था। इसका मतलब अब मरकज की जानकारी ऊपर तक पहुंच चुकी थी, लेकिन कार्रवाई फिर भी नहीं की गई।
- मरकज में जो बीमार मौलवी थे, उन्हें बाहर नहीं निकाला गया। नियमानुसार, पुलिस को उसी वक्त केस दर्ज कर मरकज को खाली कराने की कार्रवाई करनी चाहिए थी। पुलिस ने अब जो एफआईआर दर्ज की है, उसके आदेश भी दिल्ली के एलजी और केजरीवाल सरकार की ओर दिए गए थे।
- 29 मार्च को पुलिस ने मरकज खाली कराने की जो कार्रवाई की थी, वह 15 मार्च के आसपास हो जानी चाहिए थी। उस वक्त मरकज में मौजूद लोगों की मेडिकल जांच हो जाती तो देश में कोरोना के मामले उतनी तेजी से नहीं बढ़ते। पुलिस की कार्रवाई से पहले कोरोना के अनेक संदिग्ध जमाती देश के अलग-अलग हिस्सों में जा चुके थे।