नई दिल्ली, 25 जून। कांग्रेस ने शनिवार को सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि भारत के आजतक के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले के तार बीजेपी से जुड़े हैं। कांग्रेस ने कहा कि जिस डीएचएफएल नाम की कंपनी ने 17 बैंकों को कंसोर्शियम को 34,000 करोड़ का चूना लगाया है उसका बीजेपी के साथ गहरा संबंध है।
बीजेपी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में पूरे मामले को सामने रखते हुए बताया कि किस तरह डीएचएफएल अलग-अलग वर्षों में बीजेपी को करोड़ों का चंदा देती रही। सुप्रिया श्रीनेत ने पूरे मामले की समयरेखा सामने रखी। उन्होंने बताया कि, 2010 से 2018 के बीच यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई में 17 बैंकों को कंसोर्शियम ने डीएचएफएल को करीब 42,000 करोड़ का कर्ज दिया। डीएचएफएल एक नॉन बैंकिंग कंपनी है जो बड़े बैंकों से कर्ज लेकर ग्राहकों को छोटे-छोटे लोन देती थी। लेकिन इस कंपनी ने धीरे-धीरें बैंकों को कर्ज लौटाना बंद कर दिया।
सुप्रिया श्रीनेत ने बताया कि जब डिफॉल्ट शुरु हो गया तो बैंकिंग कंसोर्शियम ने स्पेशल ऑडिट कराया। इसमें 2015 से 2019 के बीच के लेनदेन की जांच की गई तो सामने आया कि डीएचएफएल ने बड़े तौर पर धोखाधड़ी की थी। कंपनी ने अपने खातों में गड़बड़ी की, राउंड ट्रिपिंग ऑफ फंड की और पैसे का इस्तेमाल डीएचएफएल के प्रोमोटर कपिल और दिनेश वधावन ने निजी संपत्ति बनाई।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सीबीआई ने इस घोटाले को अब तक का देश का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला करार दिया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि, “आजतक का सबसे बड़ा फाइनेंशियल फ्रॉड, किसी बैंक में अगर हुआ है, तो मोदी सरकार की नाक के नीचे हुआ है और जिसे सीबीआई ने रजिस्टर किया।”
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “लेकिन इसमें बड़ी खबर ये है कि मार्च, 2021 में सीबीआई ने प्रधानमंत्री आवास योजना में भी डीएचएफएल और उनके प्रमोटर को आरोपी करार देते हुए केस दर्ज किया था।” उन्होंने बताया कि कंपनी ने एक हवाई बांद्रा ब्रांच खोली, और सिर्फ कागजों पर इस कंपनी को दिखाकर इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के करीब 2 लाख 60 हजार ऋण के खाते खोले गए और उससे इस कंपनी ने पैसा कमाया। इतना ही नहीं कंपनी ने पैसा इंटरेस्ट सब्वेंशन से भी कमाया गया।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि, “लेकिन बड़ी खबर ये है कि ये घोटाला प्रधानमंत्री आवास योजना के ऑडिट में सामने नहीं आया। ये एक्चुअली यस बैंक का जो फॉरेंसिक ऑडिट होने लगा, तब सामने आया। 2015 से 2018 तक ये कंपनी लूटती रही, जनता के पैसे को ये कंपनी लूटती रही।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि “लेकिन इससे भी बड़ी सनसनीखेज बात यह है कि एक ऐसी संदिग्ध कंपनी जिसके खिलाफ केस चल रहा है, जिसने देश में सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला किया है, ऐसी कंपनी से सत्तारूढ़ बीजेपी लगातार चंदा लेती रही।” सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि बीजेपी ने इस कंपनी के प्रमोटरों, उनसे जुड़ी कंपनियों और डीएचएफएल से 28 करोड़ रूपए चंदा लिया।”
उन्होंने कहा कि, “RKW डेवलपर्स जो कि डीएचएफएल के मालिकों के स्वामित्व की ही एक कंपनी है, उससे 10 करोड़ रुपए लिए। फिर वधावन ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड से 10 करोड़ लिया। फिर वधावन परिवार के नियंत्रण वाले दर्शन डेवलपर से साढ़े 7 करोड़ रुपए लिए। तो करीब 28 करोड़ रुपए भारतीय जनता पार्टी ने एक ऐसी कंपनी से लिए जिसने भारत के बैंकों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला किया, आम जनता के पैसों को लूटा।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि, “क्या ये जानबूझ कर किया गया, क्या ये क्विड प्रो क्वो था? उनको आपने लाइसेंस दिया, आप धोखाधड़ी करते जाइए और हमें पैसा देते जाइए। क्योंकि किसी भी तौर से इतना बड़ा बैंक फ्रॉड देश में होता है, 34 हजार करोड़ का और वो कंपनी बीजेपी की डोनर कंपनी है। वो बीजेपी को लगातार पैसा दे रही है पिछले 7-8 साल से। ये बात थोड़ी हजम होने में मुश्किल है।”
कांग्रेस ने इस बारे में कुछ सवाल सरकार और बीजेपी से पूछे हैं:
आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी, बीजेपी ने इन बैंक धोखेबाजों से लगातार 28 करोड़ रुपए जैसी मोटी राशि डोनेशन में क्यों ली?
क्या ये राशि रिश्वत थी, इन लोगों को धोखाधड़ी करने देने के लिए?
ये स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री आवास योजना मात्र एक कंपनी ने 14 हजार करोड़ का चूना लगाया, 1,800 करोड़ की इंट्रेस्ट सब्सिडी ली, 2 लाख 60 हजार फर्जी होम लोन अकाउंट बना दिए। अगर प्रधानमंत्री आवास य़ोजना में एक कंपनी अकेले ऐसा कर रही है, तो क्या प्रधानमंत्री आवास योजना का ऑडिट हुआ कि ऐसी कोई अन्य कंपनियां इस तरह की जालसाजी ना कर रही हों
और अगर ऑडिट हुआ है, तो उसके दस्तावेज, उसका रिजल्ट सामने आना चाहिए
एक बहुत बड़ा इससे जुड़ा हुआ प्रश्न ये है कि डीएचएफएल का प्रधानमंत्री आवास योजना का जो घोटाला है, वो यस बैंक के फॉरेंसिक ऑडिट के दौरान सामने आया न कि प्रधानमंत्री आवास योजना के ऑडिट के दौरान, जबकि तीन साल तक लगातार वो इस आवास योजना के नाम पर धोखाधड़ी करते रहे।
सवाल है कि आखिर प्रधानमंत्री आवास योजना का ऑडिट क्यों नहं हुआ और उसके द्वारा इस घोटाला का पता क्यों नहीं चला?
कांग्रेस ने कहा कि जो एफआईआर सीबीआई ने रजिस्टर की है उसमें साफ कहा गया है कि डीएचएफएल ने मात्र कागज पर एक बांद्रा ब्रांच के नाम से एक शाखा खोली, तो सवाल ये भी उठता है कि बैंकिग रेगुलेटरी, आरबीआई, मार्केट रेगुलेटरी सेबी, एनएचबी (नेशनल हाउसिंग बोर्ड आदि) ये सारी एजेंसियां क्या कर रही थी? इनकी भूमिका पर सवाल जरुर उठता है? क्या न्यू इंडिया में एजेंसियां बिल्कुल अंजान बनी रहेंगी, अनभिज्ञ बनी रहेंगी?
उन्होंने कहा कि अंत में दो सवाल हैं कि बैंक धोखाधड़ी को नियंत्रित करने के लिए ये सरकार क्या कर रही है?
ये सच है कि एनपीए के खिलाफ एक बड़ी मुहिम यूपीए सरकार ने चलाई थी, तत्कालीन आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन जी ने चलाई थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने बैंक धोखाधड़ी को नियंत्रण करने के लिए और दोषियों को सजा देने के लिए क्या मुहिम चलाई है?
DHFL is alleged to have committed a banking fraud of nearly Rs 34,000 Cr. The worrying thing is that the BJP has deep-rooted links to this fraud.
: @SupriyaShrinate Ji pic.twitter.com/tK7JJYDe1d
— Congress (@INCIndia) June 25, 2022
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साभार : नवजीवन