कोलकाता स्थिति बेंगाल केमिकल्स एंड फर्मास्युटिकल्स लिमिटेड मलेरिया निरोधी दवा बनाने वाली भारत की एक मात्र सरकारी ईकाई है। कंपनी ने कोरोना वायरस से बढ़ी हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग को लेकर कहा है कि वह फिर से मलेरियारोधी दवा बनाने की लाइसेंस के लिए आवेदन करेगी। बेंगाल केमिकल्स ने एचक्यूसी बनाना शुरू किया था लेकिन दशकों पहले इसका उत्पादन बंद कर दिया था।

जानिए कौन थे आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय-
2 अगस्त 1861 को जन्मे प्रफुल्ल चंद्र राय ने अपने निजी प्रयासों से एक लैब में 1892 में बेंगाल केमिकल्स एंड फर्मास्युटिकल्स की स्थापना की। इस काम के पीछे उनकी सोच थी कि बेंगाल के युवाओं में इंटरप्रिन्योशिप की भावना पैदा की जा सके।

1887 में ईडनबर्ग युनिवर्सिटी से उन्होंने डीएससी की डिग्री लेने के बाद प्रेसिडेंसी कॉलेज में कैमिस्ट्री पढ़ाने लगे। 1892 में कुल 700 रुपए की पूंजी के साथ उन्होंने बेंगाल केमिकल वर्क्स की शुरुआत की और इसके हर्बल उत्पादों को मेडिकल कांग्रेस के 1893 में हुए अधिवेशन में प्रस्तुत किया।

दवाइयां बनाने की दिशा में प्रफुल्ल चंद्र राय जो छोटा सा प्रयास किया था उसे दो लाख रुपए की लागत के साथ 1901 में बेंगाल केमिकल्स एंड फर्मास्युटिकल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप में खड़ा कर दिया।

राय ने कभी नहीं लिया कंपनी से वेतन:
जॉन कमिंग ने  ‘Review of the Industrial Position and Prospects in Bengal’ में लिखा है कि 1908 में राय की कंपनी ने बंगाल के औद्योगिक घरानों में अपनी पहचान बना ली थी।

राय की दूरगामी सोच के नेतृत्व में बेंगाल केमिकल्स काफी तेजी से बढ़ी और अपनी पहली फैक्ट्री कोलकाता के मनिकलता में 1905 में स्‍थापित कर दी थीं। उन्होंने दूसरी फैक्ट्री पानीहाटी में 1920 में लगाई और फिर 1938 में तीसरी फैक्ट्री मुंबई में स्थापित कर दी थी।

प्रफुल्ल चंद्र राय ने इस दौरान कई किताबें भी लिखीं जिनमे से एक है History of Hindu Chemistry – From the Earliest Times to the Middle of the Sixteenth Century AD’ । यह एक ऐसी किताब है जिसमें भारत की वैदिककालीन महान रसायनिक प्रयोगों और प्रचलन को डॉक्युमेंटेड किया था।

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