प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के आह्वान और हाथ से मैला ढोने की भेदभावपूर्ण व खतरनाक प्रथा को समाप्त करने के लिए सीएसआईआर के केंद्रीय यांत्रिकी अभियान के अनुसंधान संस्थान ने एक यंत्रीकृत स्केवेंजिंग सिस्टम विकसित किया है। जी हां, देश की नाली व्यवस्था की अलग-अलग प्रकृति और इसमें लगे जाम के तरीके के गहन अध्ययन के बाद इस प्रणाली की शुरुआत हुई।
क्या है स्केवेंजिंग सिस्टम ?
दरअसल, यह तकनीक मोड्यूलर डिजाइन में है ताकि इससे उत्पन्न स्थितियों की आवश्यकतानुसार उपयोग में लाया जा सके। नया विकसित सिस्टम संसाधनों के सतत उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित करता है। यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में एक समेकित प्रोद्योगिकी समाधान प्रदान करता है ताकि यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नाली में हुए जाम को साफ करने में सक्षम हो। इससे बाढ़ का रुका हुआ पानी साफ करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही यह बाढ़ आपदा क्षेत्रों में जल को साफ करने के लिए भी समाधान प्रदान करेगा।
तीन तरह के यंत्रीकृत स्केवेंजिंग सिस्टम किए विकसित
सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने तीन तरह के यंत्रीकृत स्केवेंजिंग सिस्टम को विकसित किया है। यंत्रीकृत स्केवेंजिंग सिस्टम सीवरेज रखरखाव प्रणालियों में नवीनतम तकनीकी प्रगतियों के साथ-साथ उनकी दक्षता, प्रदर्शन को बढ़ाने और रोग फैलाने वाले जीवाणुओं से बचाने के लिए हाथ से मैला ढोने वाले लोगों को सफाई संबंधी कार्य में नई तकनीक के जरिए मदद करेगा। यह मैला ढोने के पेशे से जुड़े अपमान के साथ-साथ उन्हें अकुशल से कुशल कामगार बनाने में भी मदद करेगा।
स्केवेंजिंग सिस्टम के फायदे :
- बाढ़ का रुका हुआ पानी भी साफ करने में मिलेगी मदद
- स्थिति की जरूरत के अनुसार उपयोग में लाया जा सकता है
- नाली व्यवस्था की प्रकृति और जाम का कर सकता है गहन अध्ययन
- गहन अध्ययन के बाद इस प्रणाली की हुई शुरुआत
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