एसईसीएल के दीपका मेगा प्रोजेक्ट से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित है झाबर गाँव। यहाँ के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय के कक्षा आठवीं में पढ़ रहे गौरव सिंह स्मार्ट-क्लास के बारे में बातचीत को लेकर उत्साहित हैं। उनके गांव झाबर के आस-पास कई ऐसे गांव हैं जहां की शासकीय शालाओं में पहली बार स्मार्ट क्लास जैसी अध्ययन-अध्यापन की आधुनिक तकनीक लगाई गयी है। वे कहते हैं, “स्कूल में हमला प्रॉजेक्टर ले पढ़ाए जाथे अऊ स्मार्ट-क्लास लगे ले मोर पढ़ाई मा अब बहुत मन लगत हे। एकर से पढ़े मा बहुत मजा आवत हे जेकर से हमला रोज़ स्कूल आए के मन करथे।“
क्या है स्मार्ट क्लास?
परंपरागत रूप से स्कूलों में शिक्षक ब्लैकबोर्ड के माध्यम से बच्चों को पढ़ाते हैं और बोलकर उनको चीजों को समझाते हैं। जब क्लास में इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के माध्यम से शिक्षा दी जाती है तब उसे स्मार्ट-क्लास या डिजिटल क्लासरूम कहा जाता है। ऐसी क्लास में ब्लैक-बोर्ड या व्हाइट-बोर्ड के स्थान पर डिजिटल बोर्ड या इंटरएक्टिव बोर्ड लगा होता है। यह केबल की सहायता से कंप्यूटर के साथ जुड़ा रहता है और साथ में प्रोजेक्टर वीजीए केबल की सहायता से कंप्यूटर से जुड़ा रहता हैं इन सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से जिस क्लासरूम में पठन-पाठन का कार्य किया जाता है वह स्मार्ट-क्लास कहलाता है।
कोरबा एवं रायगढ़ जिलों स्कूलों में एसईसीएल द्वारा बनाए गए हैं 696 स्मार्ट क्लास
कोयलांचल के सरकारी स्कूलों में शिक्षण अधोसंरचना के विकास की संभावनाओं को भाँपते हुए एसईसीएल ने सीएसआर के माध्यम से इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास लगाने की योजना बनाई। इसके तहत कंपनी द्वारा कोरबा जिले के 500 सरकारी स्कूलों में लगभग 9 करोड़ रुपए की लागत से स्मार्ट क्लास लगाने का कार्य जिला कलेक्टर कोरबा के माध्यम से पूर्ण किया गया। इसमें प्रमुखतया प्रोजेक्टर आधारित शिक्षण शैली को अपनाया गया है।
वहीं रायगढ़ जिले में एसईसीएल कार्यालय की 25 किलोमीटर की परिधि में बने सरकारी स्कूलों में जिला प्रशासन रायगढ़ के माध्यम से 4.68 करोड़ रुपए की लागत से 113 स्मार्ट क्लास विकसित किए गए हैं। इसके साथ ही रायगढ़ जिले के रायगढ़, धरमजयगढ़ एवं खरसिया तहसीलों में 2.75 करोड़ की लागत से 83 इंटरएक्टिव बोर्ड / स्मार्ट-क्लास कि सुविधा विकसित की गई है।
स्मार्ट-क्लास से बच्चों का पढ़ाई में लग रहा मन, जग रही सीखने की ललक
स्मार्ट-क्लास बन जाने से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले आदिवासी क्षेत्रों के बच्चे भी अब आधुनिक शिक्षण पद्धति से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इससे बच्चों में एक नया आत्मविश्वास जग रहा है और उनमें पढ़ने की और कुछ नया सीखने की ललक जग रही है। शासकीय नटवर इंग्लिश स्कूल, रायगढ़ में कक्षा 11वीं में पढ़ने वाले गौरव डड़सेना अंग्रेज़ी में बात करते हुए बताते हैं कि उनके यहाँ शिक्षकों द्वारा स्मार्ट-क्लास के माध्यम से पढ़ाया जाता है और विभिन्न विषयों से जुड़ीं उनकी शंकाओं का समाधान किया जाता है। वे कहते हैं कि स्मार्ट क्लास के आने से स्कूल में पढ़ाई का एक अलग ही माहौल बना है।
हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य में कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों के ग्रोस एनरोलमेंट रेशियो को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। भारत सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 21-22 में छत्तीसगढ़ राज्य में कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों का ग्रोस एनरोलमेंट रेशियो लगभग 96% रहा है। सरकारी स्कूलों में स्मार्ट-क्लास जैसी पहल इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है और बच्चों में पढ़ाई के प्रति एक नई अलख जगा रही है।