बिजली मंत्रालय ने बिजली के उत्पादन की समग्र लागत में कमी लाने के उद्देश्य से डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म की संशोधित संरचना को अंतिम रूप दे दिया है जिसके फलस्वरूप उपभोक्ताओं को बिजली के लिए कम कीमत चुकानी होगी। संशोधित तंत्र के अनुसार, देश भर में सबसे सस्ता उत्पादक संसाधनों को सबसे पहले सिस्टम की मांग को पूरा करने के लिए डिस्पैच किया जाएगा। प्रस्तावित डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म से होने वाले लाभों को उत्पादक केंद्रों और उनके उपभोक्ताओं के बीच साझा किया जाएगा। इसका परिणाम बिजली के उपभोक्ताओं के लिए वार्षिक बचत में वृद्धि के रूप में सामने आएगा।
वास्तविक समय पर मेरिट ऑर्डर का विद्यमान तंत्र अप्रैल 2019 में प्रचालनगत हुआ था। इसने तकनीकी तथा ग्रिड सुरक्षा बाधाओं से उबरते हुए पूरे भारत में उत्पादन की कुल परिवर्तनीय लागत को इष्टतम बनाया। विद्यमान तंत्र का परिणाम अखिल भारतीय आधार पर परिवर्तनीय लागत में 2300 करोड़ रुपये की कमी के रूप में सामने आया और इन लाभों को उत्पादकों तथा उनके लाभार्थियों के बीच साझा किया जा रहा था जिससे अंततोगत्वा उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत में कमी आ गई।
यह संशोधित तंत्र सभी क्षेत्रीय इकाई थर्मल पावर प्लांटों और उसके बाद अंतर-राज्यीय थर्मल जेनेरेटरों को शामिल करने के द्वारा वर्तमान तंत्र के दायरे को भी बढ़ा देगा। इससे राज्यों को निम्न कार्बन फुटप्रिंट के साथ लागत प्रभावी तरीके से संसाधन पर्याप्तता बनाए रखने में सहायता मिलेगी। डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म का कार्यान्वयन सीईआरसी द्वारा आवश्यक विनियामकीय प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा और इसे ग्रिड-इंडिया द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रचालित किया जाएगा।
2014 के बाद से, सरकार ने पूरे देश को एक ग्रिड में कनेक्ट करने के लिए 184.6 गीगावॉट अतिरिक्त उत्पादन क्षमता एवं 1,78,000 सीकेटी किमी ट्रांसमिशन लाइन जोड़ी है जिसने संपूर्ण देश को एक समेकित विद्युत प्रणाली में रूपांतरित कर दिया है। बिजली मंत्रालय उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत में कमी लाने के उद्देश्य के साथ सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए कई उपाय करता रहा है।