कोरबा। सीटू से सम्बद्ध कोल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव एवं सीआईएल के जेबीसीसीआई सदस्य डीडी रामानंदन ने कहा कि देश में कोयला संकट जैसी कोई स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। देश के भीतर एक गलत नैरेटिव क्रिएट करने का प्रयास किया गया।
श्री रामानंदन छत्तीसगढ़ के कोरबा में कोयला श्रमिक संघ (सीटू) के दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे। रविवार की देर शाम को सीटू नेता डीडी रामानंदन ने industrialpunch.com एवं हिन्दी खबर के साथ कोल सेक्टर से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत की।
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सीटू नेता ने केन्द्र सरकार पर कोल क्राइसिस नाम का षड़यंत्र रचने का सीधा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अदानी, अंबानी जैसे चंद उद्योगपतियों और कुछ मीडिया के लोगों का हाथ कोयला व बिजली संकट का वातावरण तैयार करने में रहा है। ऐसा माहौल बनाने का प्रयास किया गया कि देश का कोल सेक्टर कोयले की जरूरत को पूरा नहीं कर पा रहा है। सरकार ने या फिर बिजली मंत्रालय ने सीधे तौर पर कभी नहीं कहा कि कोयला व बिजली संकट जैसी कोई स्थिति है।
कोल इंडिया के पास 43 मिलियन टन कोयले का स्टॉक है, जो कि पर्याप्त है। सीआईएल ने रोजाना 20 लाख टन कोयले का डिस्पैच शुरू किया है। कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए पूरा खेल खेला गया।
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डीडी रामानंदन ने कहा कि दरअसल केन्द्र सरकार की कमर्शियल माइनिंग की योजना धराशायी हो गई है। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत का जमकर ढिंढोरा पीटा। 117 कोल ब्लॉक के लिए केवल 21 फीसदी बिडर्स ही सामने आए। इसमें सिंगल बिडर्स अधिक थे। कमर्शियल माइनिंग में असफल होने के बाद अब सरकार कोल बियरिंग एक्ट 1957 में संसोधन करने जा रही है, ताकि उद्योगपतियों को कोयला खदानें आसानी से सौंपी जा सके। सरकार का यह कदम निजीकरण का प्रयास है।
जेबीसीसीआई की दूसरी बैठक पर यह कहा
डीडी रामानंदन ने कहा कि जेबीसीसीआई की दूसरी बैठक निश्चित तौर पर नवम्बर में होगी। उन्होंने कहा कि 50 फीसदी वेतनवृद्धि की मांग पूरी तरह जायज है। बहुत सोच- समझकर यह प्रस्ताव रखा गया है। एक बेहतर वेतन समझौते को अंजाम दिया जाएगा। पूरी बातचीत के लिए देखें वीडियो :
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