फलों के निर्यात को प्रोत्साहन देते हुए दुबई को ड्रैगन फ्रूट का निर्यात किया गया है। फाइबर और खनिज तत्वों से समृद्ध ड्रैगन फ्रूट को कमलम भी कहा जाता है। महाराष्ट्र के सांगली जिले में तदासर गांव के किसानों से ड्रैगन फ्रूट की खेप दुबई भेजी गई। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि ड्रैगन फ्रूट मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, अमरीका और वियतनाम जैसे देशों में होता है। यह फल फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण नष्ट कोशिकाओं की मरम्मत करने और जलन कम करने में मदद करता है। ड्रैगन फ्रूट पाचन तंत्र को सुधारने में भी उपयोगी है।
भारत में 1990 के दशक के शुरू में ड्रैगन फ्रूट की वाणिज्यिक खेती शुरू हुई। हाल के वर्षों में इसकी लोकप्रियता बढ़ी और विभिन्न राज्यों के किसान इसकी खेती कर रहे हैं। इस समय यह कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में उगाया जाता है। ड्रैगन फ्रूट को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है और इसके लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जुलाई में आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में गुजरात के शुष्क कच्छ क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती का उल्लेख किया था। उन्होंने भारत को ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए इसकी खेती करने वाले कच्छ के किसानों को बधाई दी थी।
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