नई दिल्ली, 01 फरवरी। देश का कोयला क्षेत्र प्रतिवर्ष 6-7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा और इस रफ्तार के साथ 2030 तक 1.5 अरब टन के उत्पादन स्तर तक पहुंच जाएगा। उत्पादन में वृद्धि से आयात कम होने और निर्यात बढ़ने की उम्मीद है। मंगलवार को पेश आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है। कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, प्रणाली के क्षमता उपयोग को बेहतर करने और करीब 80 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत से अधिक करने के लिए भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
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समीक्षा में कहा गया कि कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए उठाए गए कदमों में स्वत: मंजूर मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, वाणिज्यिक उत्पादन के लिए कोयला ब्लॉकों की नीलामी, मौजूदा खदानों का विस्तार और नई खदानें खोलना, खनन में व्यापक उत्पादन प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग, लदान का मशीनीकरण और निकासी अवसंरचना का विकास, आदि शामिल हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में कोयला उत्पादन सालाना आधार पर करीब 17 फीसदी बढ़कर 91.1 करोड़ टन होने का अनुमान है।
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चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर के बीच कोयला उत्पादन सालाना आधार पर 14 फीसदी और महामारी से पहले के वक्त 2019-20 की तुलना में 21 प्रतिशत बढ़ गया। समीक्षा में आगे कहा गया कि ऊर्जा संयंत्रों पर कोयले का भंडार भी 30 दिसंबर, 2022 तक बेहतर होकर 12 दिन पर पहुंच गया। एक साल पहले यह आठ दिन और 30 जून, 2022 तक 10 दिन था। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले के बढ़ते दामों के मद्देनजर ऊर्जा क्षेत्र ने इसके आयात को उल्लेखनीय रूप से कम किया है। 2019-20 में 6.9 करोड़ टन कोयला आयात किया गया था. 2020-21 में 4.5 करोड़ टन और 2021-22 में यह और घटकर 2.7 करोड़ टन रह गया।