नई दिल्ली, 02 जुलाई। केन्द्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ईपीएफ पेंशन योजना के अंतगर्त न्यूनतम पेंशन में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। पेंशनधारियों को एक हजार रुपए की न्यूनतम पेंशन ही मिलेगी।
संसद में कर्मचारी भविष्य निधि की जमा राषियों पर ब्याज दर बढ़ाने तथा पेंशन में बढ़ोतरी को लेकर सवाल किया गया था।
इस पर रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेनी ने जवाब प्रस्तुत किया :
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना 1952 के पैरा 60 (1) के उपबंधों के अनुसार, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) प्रत्येक सदस्य के खाते में ऐसी दर पर ब्याज जमा करेगा जो केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी), कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी। ईपीएफ पर ब्याज दर ईपीएफ द्वारा अपने निवेश से प्राप्त आय पर निर्भर है और ऐसी आय केवल ईपीएफ योजना 1952 के अनुसार सवितरित की जाती है। वर्ष 2021-22 के लिए सीबीटी, ईपीएफ ने वित्तीय वर्ष के लिए ईपीएफ पर 8.10 प्रतिशत ब्याज दर की सिफारिश की थी, जिसे सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है और यह अन्य तुलनीय योजनाओं अर्थात सामान्य भविष्य निधि (7.10%)/ वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (7.40%)/ सुकन्या समृद्धि खाता योजना (7.60%) की तुलना में अधिक है। वर्ष 2021- 2022 के लिए ईपीएफ जमा पर स्वीकृत ब्याज दर (8.10%) पर पुनर्विचार करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
ईपीएस, 1995 एक ’निश्चित योगदान निश्चित लाभ सामाजिक सुरक्षा योजना है। कर्मचारी पेंशन समय निधि (1) नियोक्ता द्वारा वेतन के 833 प्रतिशत की दर से अशदान, और (4) वेतन के 1.16 प्रतिशत की दर से 15,000 रुपए प्रति माह तक की बजटीय सहायता के माध्यम से केंद्र सरकार की ओर से किए गए अशदान से बना है। इस योजना के तहत सभी लाभों का भुगतान इस तरह के संचयन से किया जाता है। ईपीएस 1995 के अनुच्छेद 32 के तहत अनिवार्य रूप से निधि का सालाना मूल्यांकन किया जाता है और 31. 03. 2019 की स्थिति के अनुसार निधि के मूल्याकन से बीमाविक घाटे का पता चलता है हालांकि, सरकार पहली बार कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) 1995 के तहत 01. 09. 2014 से पेंशनभोगियों को अतिरिक्त बजटीय सहायता प्रदान करके प्रति माह 1000 रुपए का न्यूनतम पेंशन प्रदान करती है। इसके अलावा सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को सदस्य के वेतन के 1.16 प्रतिशत के रूप में बजटीय सहायता प्रदान करती है।
ईपीएस, 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन में वृद्धि के लिए व्यक्तियों के साथ- साथ पेंशनभोगी संघों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं। ईपीएस, 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन में वृद्धि करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
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