नई दिल्ली, 10 नवम्बर। श्रम एवं रोजगार सचिव और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के केंद्रीय बोर्ड की कार्यकारी समिति के पुनर्गठन बाद पहली बैठक आयोजित हुई। कार्यकारी समिति ईपीएफ अधिनियम, 1952 के तहत एक वैधानिक समिति है, जिसका कार्य केंद्रीय बोर्ड, ईपीएफ को उसके कार्यों के निर्वहन में सहायता प्रदान करना है।
वर्ष 2021-22 और 2022-23 के लिए ईपीएफओ के लेखापरीक्षित वार्षिक खातों को बोर्ड हेतु की गई अनुशंसाओं पर विचार करने के लिए समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया, इस प्रकार वार्षिक लेखों के बकाया काम का निपटान सुनिश्चित हुआ। समिति ने वर्ष 2023-24 के लेखापरीक्षित खाते समय पर तैयार और प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
कार्यकारी समिति ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए ईपीएफओ के वार्षिक वित्तीय विवरणों की तैयारी और वित्तीय विवरणों की तैयारी की प्रक्रिया के स्वचालन को सुगम बनाने के लिए दो चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म नियुक्त करने को मंजूरी दी। इससे वार्षिक खातों का समय पर तैयार किया जाना और इस प्रक्रिया में व्यावसायिकता तथा नवीनतम पद्धतियों को लाया जाना सुनिश्चित हो सकेगा।
कार्यकारी समिति ने ईपीएफओ के कामकाज से संबंधित वर्ष 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट पर भी विचार किया। वार्षिक रिपोर्ट पर विचार करते हुए समिति ने इस बात पर गौर किया कि संगठन के प्रमुख निष्पादन मापदंडों पर स्थिर वृद्धि हुई है।
पिछले वर्ष की तुलना में, योगदान देने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या में 6.6 प्रतिशत (7.18 लाख से 7.66 लाख) की वृद्धि हुई, जबकि योगदान देने वाले सदस्यों की संख्या में 7.6 प्रतिशत (6.85 करोड़ से 7.37 करोड़) की वृद्धि हुई। संगठन में पिछले वर्ष की तुलना में बकाया राशि वसूलने में भी 55.4 प्रतिशत (3390 करोड़ से 5268 करोड़ रुपये) की वृद्धि हुई। निपटाए गए दावों की संख्या में भी पिछले वर्ष की तुलना में 7.8 प्रतिशत (4.13 करोड़ से 4.45 करोड़) की वृद्धि हुई । कार्यकारी समिति ने केंद्रीय बोर्ड से रिपोर्ट को अपनाने की सिफारिश की।
एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में कार्यकारी समिति ने नई अनुकंपा नियुक्ति नीति, 2024 के मसौदे पर भी विचार किया, जिसका उद्देश्य ईपीएफओ के ऐसे अनेक कर्मचारियों के आश्रितों और बच्चों को राहत पहुंचाना है, जिनकी मृत्यु दुर्भाग्यवश उनके कार्यकाल के दौरान हो गई थी, जिनमें से अनेक की मृत्यु कोविड महामारी के दौरान हुई थी।
ईपीएफओ में सुशासन
इसके अलावा, कार्यकारी समिति ने ईपीएफओ में सुशासन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी, प्रशासनिक, वित्तीय और संबंधित पहलुओं से संबंधित कई अन्य प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया। ईपीएफओ के सुधार के एजेंडे पर विस्तार से चर्चा की गई। इस बात की सराहना की गई कि ईपीएफओ ने दावों के लिए अधिकतम सीमा के साथ-साथ दावे के लिए स्वीकार्य आधारों की श्रेणियों के संबंध में स्वतः निपटान के मानदंडों में ढील दी है। प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, सदस्यों के लिए अपने दावों को संसाधित करना आसान बनाने से संबंधित अन्य सुधारों पर भी विचार किया गया।
सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में होगा सुधार
केंद्रीकृत पेंशन भुगतान को सक्षम करने के लिए कदम उठाने के साथ-साथ आईटी से संबंधित सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में सुधार लाने संबंधी हस्तक्षेपों के बारे में चर्चा की गई और आईटी प्रणाली के ओवरहाल को पूरा करने के लिए समय-सीमा पर गौर किया गया। इस बात की सराहना की गई कि ईपीएफओ द्वारा देश भर में लगाए गए अपडेट किए गए सॉफ्टवेयर से गति में सुधार आया है, लेकिन साथ ही फील्ड-स्तर पर फॉलोअप के महत्व पर जोर दिया गया। इससे देश के सभी कार्यालयों में सुधार महसूस किया जाना सुनिश्चित होगा। ईपीएफओ कार्यालयों की नियमित और बारीकी से समीक्षा किया जाना प्राथमिकता बना रहेगा।
सुधार एजेंडे पर होगा काम
इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया कि 15 नवंबर 2024 -ईपीएफओ के 72वें स्थापना दिवस के अवसर का उपयोग देश भर में विभिन्न स्तरों पर काम करने वाले ईपीएफओ के कर्मचारियों के माध्यम से सुधार के एजेंडे को आगे बढ़ाने के अवसर के रूप में किया जाएगा।
आधुनिकीकरण परियोजना और वर्तमान में चल रही अन्य महत्वपूर्ण पहलों सहित सुधार के एजेंडे की नियमित निगरानी और समीक्षा करने के लिए कार्यकारी समिति ने अगले कुछ महीनों तक मासिक बैठक करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य प्रणालीगत सुधारों के माध्यम से नागरिकों के लिए जीवन को और भी सुगम बनाना है।