कोरबा (IP News).  क्या वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल की मोदी सरकार से नजदीकियां बढ़ रही है। इन दिनों यह चर्चा उद्योेग जगत में है। श्री अग्रवाल खनन क्षेत्र के दिग्गज कारोबारी हैं। केन्द्र सरकार खनन क्षेत्र को रिफार्म करने में लगी हुई है। कोल सेक्टर के बाद बाक्साइट, काॅपर व गोल्ड के क्षेत्र में बडे रिफार्म किए जाएंगे। इन व्यवसायों में वेदांता की खासी दखल है।

18 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोल सेक्टर के लिए कमर्शियल माइनिंग की घोषणा की थी। इस कार्यक्रम में वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल विशेष तौर पर उपस्थित थे और उन्होंने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि इससे पिछड़े इलाकों में खुशहाली आएगी। श्री अग्रवाल ने अपने उदबोधन में बाक्साइट, गोल्ड और काॅपर की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया था। खास बात यह थी कि वेदांता के चेयरमैन ने जनसुनवाई का जिक्र करते हुए खदानों को शुरू करने की प्रक्रिया में सेल्फ सर्टिफिकेशन पर जारे दिया था। श्री अग्रवाल ने कहा था कि उन्हें गर्व है कि मोदी सरकार रेवेन्यू नहीं बल्कि प्रोडक्शन माइंडेड है।

इधर, कोयला उद्योग में कमर्शियल माइनिंग के जोरदार विरोध और तीन दिवसीय हड़ताल की दस्तक बीच केन्दीय मंत्री जोशी ने बाक्साइट व एल्यूमिनियम की चर्चा की है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि बाक्साइट, गोल्ड, काॅपर जैसे मिनरल के क्षेत्र में भी एक- दो माह के भीतर मेगा रिफार्म का ऐलान होगा। आक्शन प्रक्रिया में इन्हें शामिल किया जाएगा। खान मंत्री ने चीन से एल्यूमिनियम का इंपोर्ट घटाने की योजना की चर्चा भी की। केन्द्रीय मंत्री जोशी ने फ़्लेश्बेक में जाते हुए एक बड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ओडिशा में अच्छा बाक्साइट मिला था, इन्वेस्टर रेडी बैठे थे। इसको लेकर राजनीति हुई और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने सब बर्बाद कर दिया। केन्द्रीय खान मंत्री प्रल्हाद जोशी का इशारा नियामगिरी हिल्स बाक्साइट खदान की ओर था।

राहुल गांधी ने नियामगिरी माइंस को लेकर खोला था मोर्चा

यहां बताना होगा कि यह खदान वेदांता समूह की भारतीय कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आबंटित हुई थी। दस वर्ष पूर्व नियामगिरी हिल्स बाक्साइट खदान को लेकर राहुल गांधी ने मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने खदान के प्रारंभ होने से क्षेत्र के आदिवासी और इनकी संस्कृति, पर्यावरण को नुकसान पहुंचने की बात कही थी। बाद में केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने पर्यावरणीय मंजूरी को रद्द कर दिया था। इस फैसले को ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन ने कोर्ट में चुनौती दी थी।

बाक्साइट खदान का माला उच्चतम न्यायालय पहुंचा था। उच्चतम न्यायालय ने ओडिशा के रायगढ़ और कालाहांडी जिले के ग्राम सभाओं से मंजूरी मिलने तक नियामगिरी पहाड़ियों में वेदांता समूह की बॉक्साइट खनन परियोजना पर रोक लगा दी थी।

कंपनी को लगा था बड़ा झटका

इससे पहले, 2007 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने स्टरलाइट की बॉक्साइट खनन परियोजना को सिद्धांत रूप में मंजूरी दी थी, लेकिन अगस्त, 2010 में मंत्रालय ने तमाम वन एवं पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन का हवाला देते हुए इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। वेदांता रिसोर्सेज ने कालाहांडी जिले में एल्यूमीनियम उत्पादन के लिए 10 लाख टन साला क्षमता की रिफाइनरी लगाने हेतु 2003 में ओडिशा सरकार के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। वेदांता ने बाद में इस रिफाइनरी की क्षमता बढ़ाकर 60 लाख टन सालाना करने की अनुमति मांगी थी। इस बाक्साइट खदान के शुरू नहीं हो पाने से वेदांता को बड़ा झटका लगा था। कंपनी का एल्यूमिना पाउडर इंपोर्ट भी करना पड़ता है।

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