राज्यसभा ने वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 (Forest (Conservation) Amendment Bill) को पारित कर दिया है। लोकसभा इसे पहले ही स्वीकृति दे चुकी है। इस विधेयक में वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करके इसे कुछ विशेष प्रकार की भूमि पर लागू करने का प्रावधान है।
विधेयक कुछ प्रकार की भूमि को अधिनियम के दायरे से छूट भी देता है। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजनाओं के लिए आवश्यक देश की सीमा के 100 किलोमीटर के भीतर की भूमि, सड़क के किनारे सुविधाएं और बसावट की ओर जाने वाली सार्वजनिक सड़कें शामिल हैं। विधेयक का उद्देश्य कुछ श्रेणियों की भूमि को अधिनियम के दायरे से छूट देना और राष्ट्रीय महत्व की रणनीतिक और सुरक्षा-संबंधी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाना है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 पेश किया। विधेयक पर श्री यादव ने कहा कि यह विधेयक हरित कवरेज बढ़ाने, कार्बन उत्सर्जन कम करने और पर्यावरण तथा सामाजिक-आर्थिक विकास के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक में कृषि वानिकी का दायरा बढ़ाने का प्रावधान है।
चर्चा की शुरुआत करते हुए बीजू जनता दल के डॉक्टर प्रशांत नंदा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि वन क्षेत्र में वृद्धि से शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य वन संरक्षण और विकास संबंधी गतिविधियों के बीच संतुलन बनाना है। वाई एस आर सी पी के एस. निरंजन रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन विधेयक के पारित होने से राष्ट्र की प्रगति होगी और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को मदद मिलेगी। भारतीय जनता पार्टी के कामाख्या प्रसाद तासा और अजय प्रताप सिंह, ए आई ए डी एम के पार्टी के थम्बीदुरई तथा दूसरी पार्टी के सदस्यों ने भी बहस में हिस्सा लिया।