खाने में मिलावट को लेकर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अपने वार्षिक रिपोर्ट में बहुत बड़ा खुलासा किया है। इसमें कहा गया है कि खाने में मिलावट के मामले पिछले 8 साल में दोगुने हो गए हैं। FSSAI द्वारा वर्ष 2012-12 में जांचे गए जहां 15% फूड सैंपल में मिलावट देखने को मिली थी, वहीं वर्ष 2018-19 बढ़कर यह 28% से अधिक हो गया है। FSSAI ने अपने एनुअल रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2018-19 में उसके द्वारा जांच किए गए फूड सैंपल में से 28.56% फूड सैंपल में या तो मिलावट की गई है या फिर इनकी गुणवत्ता बेहद घटिया है। FSSAI ने कहा कि NABL द्वारा जांचे गए 1,06,459 फूड सैंपल्स में से 28.56% सैंपल में मिलावट पाई गई।
FSSAI की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में जिन राज्यों में खाद्य पदार्थ में सबसे अधिक मिलावट पाई गई है उनमें उत्तर प्रदेश और झारखंड टॉप पर काबिज हैं। वहीं, खाने में सबसे कम मिलावट अरुणाचल प्रदेश, गोवा और उत्तराखंड में मिली है। वर्ष 2018-19 में उत्तर प्रदेश से कलेक्ट किए गए सैंपल में जहां 52.32% मिलावट देखने को मिली, वहीं तमिलनाडु में 45.39% और झारखंड में 41.68% मिलावट पाई गई। वहीं, अरुणाचल प्रदेश से कलेक्ट सैंपल में सिर्फ 3.78%, उत्तराखंड में 4.63% और गोवा से कलेक्ट फूड सैंपल में 5.67% मिलावट पाई गई।
जुर्माना बढ़कर 32,57 करोड़ रुपये तक पहुंचा
आपको बता दें कि FSSAI के अधिकारी हर साल सभी राज्यों से फूड सैंपल कलेक्ट करते हैं, जिनमें दूढ, मसाले, पानी और पैक्ड खाना शामिल होता है। वर्ष 2018-19 में खाद्य पदार्थ में मिलावट करने पर लगने वाला जुर्माना भी बढ़कर 32,57 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जबति, 2017-18 में यह 26.35 करोड़ रुपये था। FSSAI ने सभी राज्य सरकारे से खाने में मिलावट पर सख्ती से रोक लगाने को कहा है।