केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि खान मंत्रालय देश के खनन क्षेत्र में और अधिक विकास बढाने के लिए नीतिगत सुधारों पर विचार करने के लिए तैयार है। खान और खनिज पर पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन को आज यहां संबोधित करते हुए श्री जोशी ने कहा कि केंद्र राज्य सरकारों को देश भर में खनन प्रक्रिया को प्रोत्साहन देने के लिए और अधिक प्रोत्साहन पर विचार कर सकती है।
उन्होंने राज्य सरकारों से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उपलब्ध खनिज बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने का आग्रह किया। मंत्री ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान, ओडिशा सरकार ने खदानों की सक्रिय नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये अर्जित किए हैं। उन्होंने कहा कि खनिजों के आयात को कम से कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
दिन भर चले इस सम्मेलन के दौरान, श्री जोशी ने टिकाऊ खनन प्रथाओं और सर्वांगीण प्रदर्शन के लिए 5-स्टार रेटेड खदानों को पुरस्कार प्रदान किए। पिछले तीन वर्षों में कुल 149 पुरस्कार देश भर की विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कम्पनियों को दिए गए हैं । भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा अनुमोदित की गई 52 खदानों को 15 राज्य सरकारों को सौंपना राष्ट्रीय सम्मेलन की प्रमुख विशेषताओं में से एक थी। मंत्री महोदय ने खनिज अन्वेषण के लिए प्रत्यायन योजना के ई-पोर्टल का भी उद्घाटन किया।
इससे पहले खनिज अधिनियम में हाल के संशोधनों पर पैनल चर्चा और राज्य सरकार के खनन विभाग के अधिकारियों द्वारा नियमों और प्रस्तुतिकरण इस सम्मेलन के एक हिस्से के रूप में आयोजित किए गए हैं। इस दौरान भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने उन्नत अन्वेषण प्रौद्योगिकी एवं और अधिक खनिज ब्लॉकों की पहचान के लिए चल रही रणनीति पर एक तकनीकी सत्र भी प्रस्तुत किया।
खान मंत्रालय के सचिव आलोक टंडन, मंत्रालय के वरिष्ठ पदाधिकारियों, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी), विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों एवं राज्य सरकारों तथा औद्योगिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने सम्मेलन के मंथन सत्रों में भाग लिया।
खान और खनिज पर पहली बार राष्ट्रीय सम्मेलन 2016 में रायपुर में आयोजित किया गया था। इसके बाद दिल्ली और इंदौर में वार्षिक रूप से इसी तरह के सम्मेलन आयोजित किए गए हैं। खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के लागू होने के बाद, खनिज रियायतों के अनुदान के लिए नीलामी की व्यवस्था ने पारदर्शिता लाई गई और विवेकानुसार आबंटन को काफी हद तक हटा दिया गयाहै। इससे न केवल राज्य सरकारों के राजस्व में पर्याप्त वृद्धि हुई है, बल्कि खनन क्षेत्र में व्यवसाय करने में सुगमता का प्रतिमान भी सामने आया है।
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