नई दिल्ली, 06 अगस्त। कोयला मंत्रालय (Coal Ministry) अपनी संपत्तियों को निजी क्षेत्र को देने की ओर बढ़ रहा है। कमॅर्शियल माइनिंग के तहत कोल ब्लॉक के आबंटन के बाद अब CIL की अनुषांगिक कंपनियों की जमीन भी निजी कंपनियों को पट्टे पर दी जाएंगी। इसके लिए केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की भूमि उपयोग नीति (Land Use Policy) में संशोधन किया गया है। कोयला मंत्रालय द्वारा इस आशय का आदेश 29 जुलाई, 2024 को जारी किया गया है।

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यहां बताना होगा कि सरकारी कोयला खदानों के लिए सीबीए अधिनियम या कोकिंग कोल माइंस (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 (’सीसीएमएन अधिनियम’), कोयला खदान (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1973 (’सीएमएन अधिनियम’) के तहत भूमि का अधिग्रहण किया जाता है। भूमि उपयोग नीति में संशोधन निजी संस्थाओं को कोयला बुनियादी ढांचे के विकास और अन्य विकास गतिविधियों के लिए पट्टे पर देने किया गया है।

भूमि के स्वामित्व में बदलाव किए बिना जमीन निजी कंपनियों को पट्टे पर दी जाएगी। पट्टा 50 साल के लिए होगा। पट्टा उन कंपनियों को ही मिलेगा, जिन्हें कॅमर्शियल माइनिंग के तहत कोल ब्लॉक का आबंटन किया गया है।

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इसके लिए नए दिशा निर्देश तैयार किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं :

  • ये दिशानिर्देश केवल ऐसे भूमि खंडों पर लागू होंगे जो पहले से ही केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहित हैं और सीबीए अधिनियम या सीसीएमएन अधिनियम या सीएमएन अधिनियम के तहत सरकारी कंपनियों में निहित हैं या आरएफसीटीएलएआरआर अधिनियम के तहत कोयला पीएसयू द्वारा पहले से ही अधिग्रहित भूमि या कोयला पीएसयू द्वारा पहले से ही खरीदी/अधिग्रहित/कब्जे वाली भूमि जो पहले से ही आवंटित/वर्तमान में सीएमएसपी/एमएमडीआर अधिनियम के तहत आवंटित कोयला खदानों/ब्लॉकों के साथ ओवरलैप होती है या केवल ऐसे ओवरलैप की सीमा तक सीएमएसपी अधिनियम के तहत आबंटित की जानी है।
  • ऐसी भूमि के खंडों में खनन और सतह के अधिकार केवल सफल बोलीदाताओं को पट्टे पर दिए जा सकते हैं जिन्हें सीएमएसपी अधिनियम या एमएमडीआर अधिनियम के तहत संबंधित कोयला खदान/ब्लॉक आबंटित किया गया था।
  • ऐसे मामलों में जहां ऐसे ओवरलैपिंग भूमि पार्सल सीसीएमएन अधिनियम/सीएमएन अधिनियम के तहत एक सरकारी कंपनी में अधिग्रहित और निहित किए गए हैं, उक्त सरकारी कंपनी ऐसे नियमों और शर्तों पर सफल बोलीदाता को ऐसे भूमि पार्सल पर सतही अधिकारों का पट्टा/उप-पट्टा दे सकती है, जैसा कि उक्त सरकारी कंपनी उचित समझे। खनन पट्टे के संबंध में, उक्त सरकारी कंपनी सफल बोलीदाता को उप-पट्टा दे सकती है या सफल बोलीदाता को नया खनन पट्टा देने के लिए राज्य सरकार को खनन पट्टा सौंप सकती है।
  • ऐसे मामलों में जहां ऐसे ओवरलैपिंग भूमि पार्सल सीबीए अधिनियम के तहत एक सरकारी कंपनी में अधिग्रहित और निहित किए गए हैं, उक्त सरकारी कंपनी ऐसे नियमों और शर्तों पर सफल बोलीदाता को ऐसे भूमि पार्सल पर सतही अधिकारों का पट्टा दे सकती है, जैसा कि उक्त सरकारी कंपनी उचित समझे। खनन पट्टे के संबंध में, खनन पट्टा सफल बोलीदाता और सरकारी कंपनी के बीच निष्पादित किया जा सकता है।
  • ऐसे मामलों में जहां कोयला पीएसयू द्वारा आरएफसीटीएलएआरआर अधिनियम के तहत या कोयला पीएसयू द्वारा पहले से ही खरीदी/अधिग्रहित/कब्जे वाली भूमि में ऐसे ओवरलैपिंग भूमि पार्सल अधिग्रहित किए गए हैं, उक्त कोयला पीएसयू ऐसे भूमि पार्सल पर सतही अधिकार ऐसे नियमों और शर्तों पर सफल बोलीदाता को पट्टे पर दे सकता है, जैसा कि उक्त पीएसयू उचित समझे। खनन पट्टे के संबंध में, खनन पट्टा राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा।
  • सरकारी कंपनियों द्वारा दिए गए सतही पट्टे दीर्घकालिक पट्टे होंगे, यानी 50 साल तक के लिए। खनन पट्टा/उप-पट्टा एमएमडीआर अधिनियम के तहत प्रदान किया जाएगा और एमएमडीआर अधिनियम के तहत खनन पट्टे पर लागू नियम और शर्तें ऐसे खनन पट्टों पर लागू होंगी।
  • पट्टेदार/उप-पट्टेदार को रॉयल्टी, डेड रेंट, नीलामी की आय, सतह किराया या कोई अन्य वैधानिक राशि राज्य सरकार को देनी होगी तथा जिला खनिज फाउंडेशन और राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट को एमएमडीआर अधिनियम के तहत पट्टेदार द्वारा देय राशि का भुगतान करना होगा।
  • पट्टेदार/उप-पट्टेदार भूमि अधिग्रहण की लागत, पुनर्वास और पुनर्स्थापन की लागत, भूमि के बदले रोजगार की लागत, अन्य आकस्मिक या सहायक लागत/खर्च आदि का भुगतान वर्तमान बाजार दर पर सरकारी कंपनी द्वारा किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, पट्टेदार प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर भूमि के लिए 1000 रुपये की दर से पट्टाकर्ता सरकारी कंपनी को सतही पट्टे के लिए किराया देगा।

देखें कोयला मंत्रालय का आदेश (PDF File) : Coal Ministry Amendments Land Use Policy, 29 July, 2024

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