सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि सेवा नियम में प्रावधान नहीं है तो सरकारी कर्मचारी Factory Act के तहत Double Overtime भत्ते का दावा नहीं कर सकते। जस्टिस सुब्रहमण्यम और पंकज मिथल की बेंच ने यह फैसला देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया। साथ ही राज्य की उस अपील को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया था कि कर्मचारी Factory Act के तहत Double Overtime के लाभ के लिए पूरी तरह से अधिकृत है।
सरकारी कर्मचारी कई विशेष लाभों का आनंद लेता है
बेंच ने कहा कि राज्य या केंद्र सरकार में सिविल पदों या सिविल सेवा में नियुक्ति एक स्टेटस का मामला है। यह ऐसा रोजगार नहीं है, जो सेवा अनुबंध और श्रमिक कल्याण कानूनों से संचालित हो। बेंच ने कहा कि सरकारी कर्मचारी कई विशेष लाभों जैसे आवधिक वेतन संशोधन के प्रावधान आदि का आनंद लेते हैं, जो Factory Act के दायरे में आने वाले श्रमिकों को नहीं मिलते। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों के दावों की जांच करने की आवश्यकता है कि कहीं वे दोनों लाभ तो हासिल नहीं करना चाहते।
अदालत ने कहा कि सरकारी कर्मचारी हमेशा सरकार के अधीन रहते हैं। यह कहने की आवश्यकता नहीं है। कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी लाभ का दावा नहीं किया जा सकता है। वास्तव में प्रतिवादियों के लिए Double Overtime भत्ते के भुगतान की मांग करने की कोई गुंजाइश नहीं थी।
साप्ताहिक अवकाश धारा-52 के तहत
सिविल पदों पर नहीं होने वाले कर्मचारी Factory Act (धारा-51) से संचालित होते हैं, जिन्हें निश्चित सीमाओं के अंदर साप्ताहिक घंटों में हफ्ते में छह दिन काम करना पड़ता है। साप्ताहिक अवकाश धारा-52 के तहत दिया जाता है। रोजाना काम के घंटे धारा-34 में उल्लेखित हैं। Factory Act के कर्मियों का वेतन एक अवधि के बाद स्वतः संशोधित नहीं किया जाता, जैसा कि सरकारी सेवा में वेतन आयोग होता है।
कर्मचारियों की मांग सेवा नियमों पर आधारित नहीं
बेंच ने आगे कहा कि Factory Act के तहत उद्योगों में लगे कर्मियों के विपरीत सरकारी कर्मियों को हर समय अपने आप को सरकार की सेवा में लगाए रहना है। वे इसके लिए Overtime नहीं मांग सकते। ऐसे में याचिकाकर्ताओं को Double Overtime की मांग करने की कोई गुंजाइश नहीं है। यहां सरकारी कर्मियों की मांग सेवा नियमों पर आधारित नहीं, बल्कि Factory Act की धारा-59 के तहत है। चूंकि सरकारी सेवा नियम Overtime का प्रावधान नहीं करते, इसलिए उनका दावा स्वीकार करने योग्य नहीं है।
सरकारी व निजी सेवा का फर्क समझाने में विफल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि श्रम पंचाट और हाईकोर्ट यह समझने में विफल रहे हैं कि सरकारी और निजी सेवा में क्या फर्क है। अपील स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा, जो कर्मचारी रिटायर हो गए हैं या मृत हो गए हैं, उनसे भुगतान कर दिए Overtime की रिकवरी नहीं की जाए।
क्या है मामला?
मामला Security Printing and Minting Corporation of India (वित्त मंत्राल के तहत बनी कंपनी, जो करेंसी नोट छापती है) के कर्मियों का था। उन्होंने Factory Act, 1948 के तहत दोहरे डबल Overtime भत्ते की मांग की थी। इस मांग को श्रम न्यायाधिकरण और बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।
साभार : https://www.latestlaws.com/hindi/hindi-news/198581/