वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आज कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना देश में वित्तीय समावेशन के सबसे बड़े माध्यम के रूप में उभरी है। उन्होंने कहा कि जनधन खातों ने कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों के खाते में सीधे पैसा भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आज नई दिल्ली में कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन-2023 को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने डिजिटल व्यवस्था के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ी है और नागरिकों का सशक्तिकरण हुआ है। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों को अब पचास से अधिक सरकारी योजनाओं का लाभ डिजिटल योजना के माध्यम से सीधे उनके खातों में पहुंच रहा है।
अपने संबोधन में वित्त मंत्री ने बहुपक्षीय संस्थानों की भूमिका और कर्ज के बढ़ते बोझ पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व व्यापार संगठन जैसे बहुपक्षीय संस्थान आज अपेक्षित रूप से प्रभावी नहीं है। सुश्री सीतारामन ने कहा कि इन संस्थानों की भूमिका और सक्रियता वैसी नहीं है, जैसी आदर्श रूप में होनी चाहिए।
कर्ज के बढ़ते बोझ पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह समस्या सरकार के ध्यान में है। उन्होंने कहा कि सरकार दुनिया के विभिन्न भागों में कर्ज का बोझ कम करने के प्रयोगों पर नजर रखे हुए है। उन्होंने आतंकवाद और खाद्य असुरक्षा के मुद्दों पर भी चिंता व्यक्त की।
इस अवसर पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को धीमी वृद्धि दर, मुद्रस्फीति और वित्तीय अस्थिरता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।