गुजरात में मोटाउन साणंद के पास गनासर गांव के निवासी एक लम्बी गर्दन वाले सारस के जोड़े के अंडों की बहुत ही अच्छे ढंग से देखभाल कर रहे है।
गांव के लोगों में बडा उत्साह है और इस काम के लिए उन्होंने खेत के एक हिस्से को ‘कृत्रिम नम भूमि में बदल दिया है। उन्होंने इस खेत में एक अस्थायी झील बना दिया है और अंडों की दिन रात निगरानी कर रहे हैं। वे इस बात का भी ध्यान रख रहे हैं कि इन अंडों को कोई जंगली जानवर या कुत्ते नुकसान न पहुंचा पाएं।
बचूभाई ठाकोर का खेत में गांवासियों का निरंतर आना जाना लगा हुआ है और वे इस बात लेकर बहुत उत्सुक हैं कि अगले सप्ताह किस समय अंडे सेहने की प्रक्रिया पूरी होगी और उनसे कब बच्चे निकलकर बाहर आएंगे।
सारस की यह लुप्तप्राय प्रजाति है। राज्य वन विभाग की 2010 की गणना के अनुसार इस प्रजाति के सारस की संख्या एक हजार नौ सौ थी। आशंका है कि यह संख्या घटकर लगभग 600 रह गई है।
पिछले एक दशक में औपचारिक गणना नहीं हुई है। पक्षियों की सुरक्षा के लिए गांव का सामूहिक प्रयास प्रशंसनीय है।
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