नई दिल्ली, 17 अक्टूबर। गुजरात में बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी 11 दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। राज्य सरकार का कहना है कि इन लोगों का व्यवहार अच्छा पाया गया, इसलिए इन्हें रिहा किया गया। बता दें कि यह सभी गोधरा उप कारागार में बंद थे। दोषियों की रिहाई राज्य सरकार की क्षमा नीति के तहत हुई है।
बता दें कि 11 दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार ने कहा है कि दोषियों को जेल में उम्रकैद की सजा में 14 साल जेल में बिताने के बाद छूट दी गई थी। इस दौरान उनका व्यवहार अच्छा पाया गया था। गुजरात सरकार ने कहा कि इस मामले में तीसरी पार्टी केस दायर नहीं कर सकती है। इससे सुभाषिणी अली का कोई वास्ता नहीं है। इसमें दायर की गई याचिका राजनीति का हिस्सा है, साजिश है।
मालूम हो कि राज्य सरकार की मंजूरी के बाद 10 अगस्त 2022 को दोषियों को रिहा करने के आदेश जारी किए गए थे। वहीं इस रिहाई की मंजूरी के खिलाफ दायर याचिका में याचिकाकर्ताओ का कहना था कि दोषियों को ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के मौके पर सजा में छूट दी गई। वहीं सरकार ने कहा कि यह तर्क गलत है।
क्या था मामलाः
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना हुई थी। इसके बाद राज्य के कई हिस्सों में लोगों का आक्रोश देखा गया और दंगे शुरू हो गये। दंगों के दौरान 3 मार्च 2002 को दाहोद के लिमखेड़ा तालुका में बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। इसके अलावा बिलकिस बानो के परिवार के 14 लोगों को भीड़ ने मार डाला था। इसमें से छह के शव आजतक नहीं मिले। वहीं 21 जनवरी 2008 में सीबीआई की विशेष अदालत ने इस केस के 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
इनको किया गया रिहा
जिन लोगों को रिहा किया गया है उनमें गोविंद नाई, केसर वोहानिया, राधेश्याम शाह, जसवंत नाई, बाका वोहानिया, शैलेश भट्ट, बिपिन जोशी, राजू सोनी, रमेश चंदना, प्रदीप मोढिया और मितेश भट्ट शामिल हैं।
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