उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Govt) सरकार ने हाथरस गैंगरेप (Hathras) की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दायर किया है, जिसमें कहा गया कि अदालत को मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए CBI जांच का निर्देश देना चाहिए। साथ ही हलफनामे में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को CBI जांच की निगरानी करनी चाहिए। इसके अलावा यूपी सरकार ने आधी रात पीड़िता की अंतिम संस्कार करने की वजह भी बताई है। योगी सरकार द्वारा कहा गया कि उनके पास इनपुट थे कि इस मुद्दे को लेकर सुबह बड़े स्तर पर दंगा करने की तैयारी थी, अगर सुबह तक इंतजार करते थे तो स्थिति अनियंत्रित हो सकती थी।
सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे और दो वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में उत्तर प्रदेश के अधिकारियों द्वारा मामले से निपटने में विफलता का आरोप लगाया गया है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच करेगी। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि महिला और उसके परिवार के साथ घोर अन्याय हुआ है। पीड़िता की लाश को पुलिस ने परिवारवालों की सहमति के बिना जलाया था।
नोटिस मिलने से पहले ही योगी सरकार ने दाखिल की हलफनामा
इसके जवाब में योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसे ऐसी खुफिया सूचना मिली थी कि अगर शव का अंतिम संस्कार करने के लिए सुबह होने का इंतजार किया जाता तो बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क सकती थी। उसने मामले में अब तक हुई जांच का विस्तृत ब्योरा सुप्रीम कोर्ट को सौंपा और दावा किया कि कुछ निहित स्वार्थ वाली ताकतें निष्पक्ष न्याय के रास्ते में रोड़ा अटका रही हैं। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का नोटिस मिलने का इंतजार किए बिना ही अपनी तरफ से हलफनामा फाइल कर दिया। उसने कहा कि हाथरस कांड के बहाने राज्य सरकार को बदनाम करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया, टीवी और प्रिंट मीडिया पर आक्रामक अभियान चलाए गए।
हलफनामा में कहा गया है कि हाथरस में पुलिस ने कानून के मुताबिक सभी जरूरी कदम उठाएं है। असाधारण हालतों के चलते रात के वक्त लड़की के अंतिम संस्कार जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। कुछ राजनीतिक पार्टियों और मीडिया का एक हिस्सा इस मामले को संप्रदायिक/जातीय रंग देने में लगा है। मेडिकल रिपोर्ट्स लड़की के साथ रेप होने जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया कि विपक्षी सियासी दलों के नेताओं ने यूपी सरकार को बदनाम करने के लिए साजिश रचा है। दंगे कराने के लिए जानबूझकर और सुनियोजित प्रयास किए जा रहे हैं।
हाथरस में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ 14 सितंबर को कथित तौर पर चार पुरुषों द्वारा गैंगरेप किया गया था और उसकी हत्या करने की कोशिश की गई। 29 सितंबर को राजधानी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी। उसके शव का उत्तर प्रदेश पुलिस ने कथित तौर पर परिजनों की सहमति के बिना जबरन जल्दबाजी में अंतिम संस्कार कर दिया। हालांकि यूपी पुलिस ने इस दावे का खंडन किया है।
PFI से जुड़े 4 लोग गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लिया है, जो कथित रूप से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और इसके एक सहयोगी संगठन से जुड़े हैं। चारों को सोमवार रात मथुरा से उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वे दिल्ली से हाथरस जा रहे थे। पुलिस ने कहा कि सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए कि कुछ संदिग्ध दिल्ली से हाथरस जाने के रास्ते में हैं, उन्होंने एक टोल प्लाजा पर एक कार को रोका। चारों से पूछताछ की गई और माथ टोल प्लाजा पर हिरासत में ले लिया गया।
इन चारों की पहचान मुजफ्फरनगर के अतीक-उर रहमान, मलप्पुरम के सिद्दीक, बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर के आलम के रूप में हुई है। मोबाइल फोन, लैपटॉप और कुछ साहित्य, जो शांति और व्यवस्था पर प्रभाव डाल सकते थे, उन्हें जब्त कर लिया गया। योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने नागरिक कानूनों के खिलाफ राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए PFI को दोषी ठहराया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल की घटनाओं का उल्लेख कर कहा कि अराजकतावादी तत्व हाथरस की घटना के बाद राज्य में सांप्रदायिक और जातिगत हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।