नई दिल्ली, 06 अगस्त। शनिवार को सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी HPCL ने कहा कि पेट्रोल एवं डीजल के दाम नहीं बढ़ने से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बड़ा घाटा उठाना पड़ा है।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने शेयर बाजारों को तिमाही नतीजों की जानकारी देते हुए कहा कि अप्रैल- जून तिमाही में उसे एकल आधार पर 10,196.94 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यह किसी भी तिमाही में एचपीसीएल को हुआ सबसे बड़ा घाटा है। एक साल पहले की समान अवधि में उसे 1,795 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।
दरअसल चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी नहीं की जिससे उन्हें परिचालन व्यय के अनुपात में राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। एचपीसीएल की तरह सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ओर बीपीसीएल ने भी बीती तिमाही में पेट्रोल – डीजल के दाम नहीं बढ़ाए। ऐसा बढ़ती मुद्रास्फीति पर काबू पाने की सरकार की कोशिशों को ध्यान में रखते हुए किया गया।
कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने से आईओसी को भी इस तिमाही में 1.992.53 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि एचपीसीएल को तेल उत्पादन से अधिक बिक्री करने से ज्यादा बड़ा घाटा उठाना पड़ा है। एचपीसीएल को उत्पादों की बिक्री से मिलने वाला राजस्व बीती तिमाही में बढ़कर 1.21 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 77.308.53 करोड़ रुपये रहा था। राजस्व वृद्धि की बड़ी वजह कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हुई बढ़ोतरी रही ।
अप्रेल- जून तिमाही में एचपीसीएल को हुए रिकॉर्ड घाटे ने रिफाइनिंग कारोबार से हुए रिकॉर्ड मार्जिन को भी फीका कर दिया। एचपीसीएल को वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्रति बैरल कच्चे तेल पर 16.69 डॉलर की कमाई हुई जो एक साल पहले की समान अवधि में महज 3.31 डॉलर प्रति बैरल रही थी। “एचपीसीएल ने अपने बयान में कहा, “इस तिमाही में मोटर ईंधन और एलपीजी पर विपणन मार्जिन घटने से हमारी लाभप्रदता पर प्रतिकूल असर पड़ा है। “इसके अलावा कंपनी को विदेशी मुद्रा विनिमय दर में उतार- चढ़ाव होने से भी 945.40 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा का नुकसान झेलना पड़ा।
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