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नई दिल्ली, 12 अक्टूबर। ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर (Global Energy Monitor) द्वारा 10 अक्टूबर को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, जैसे- जैसे दुनिया सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ रही है, कोयला उद्योग में 4 लाख से अधिक कर्मचारी 2050 तक अपनी नौकरी खो देंगे। चीन और भारत में श्रमिकों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोल इंडिया (CIL) तब तक 70,000 से अधिक नौकरियों में कटौती करेगा।

ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर, एक यूएस-आधारित गैर सरकारी संगठन है, जो दुनिया भर में स्वच्छ ऊर्जा पर जानकारी संकलित और प्रकाशित करता है। दुनिया भर में 4,300 सक्रिय और प्रस्तावित कोयला खदानों और परियोजनाओं में रोजगार पर डेटा संकलित किया गय विश्लेषण में भारत सहित 70 देशों की खदानों का डेटा शामिल किया गया, जिनकी कोयला खदानों में अनुमानित 3.3 लाख कर्मचारी नियोजित हैं।

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रिपोर्ट में पाया गया है कि लगभग 27 लाख कोयला खनिक दुनिया के 93 फीसदी कोयले का उत्पादन करते हैं, जिनमें से अधिकांश एशिया में काम करते हैं (लगभग 22 लाख)। 2050 तक, दुनिया भर में खदानें बंद होने के कारण लगभग 9.9 लाख कोयला खदानों में नौकरियां नहीं रहेंगी। मौजूदा कार्यबल के एक-तिहाई से अधिक को छंटनी का सामना करना पड़ेगा, यहां तक कि जलवायु संबंधी प्रतिज्ञाओं या कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की नीतियों के बिना भी। रिपोर्ट के अनुसार, 2035 तक छंटनी प्रति दिन औसतन 100 श्रमिकों को प्रभावित करेगी।

ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की रिपोर्ट का अनुमान है कि कोयला खदानें बंद होने से चीन और भारत को छंटनी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। चीन में 1.5 मिलियन से अधिक कोयला खनिक हैं जो 85 प्रतिशत से अधिक कोयले का उत्पादन करते हैं, जो दुनिया के उत्पादन का आधा हिस्सा है। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक है और कोल इंडिया लिमिटेड को 2050 तक सबसे अधिक संभावित छंटनी का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार 73,800 प्रत्यक्ष कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ेगी।

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