नई दिल्ली, 04 जुलाई। आयकर विभाग ने 30 जून को कोयला परिवहन एवं इससे संबंधित गतिविधियों के व्यवसाय वाले एक समूह पर तलाशी एवं जब्ती अभियान चलाया। इस दौरान एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के परिसर को भी तलाशी अभियान में शामिल किया गया था।

कुल मिलाकर रायपुर, भिलाई, रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, सूरजपुर आदि में फैले 30 से अधिक परिसरों में तलाशी अभियान चलाया गया।

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तलाशी अभियान के दौरान दोषी ठहराने वाले कई दस्तावेज, खुली अकाउंट शीट्स और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं और उन्हें जब्त कर लिया गया है। समूह द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली में राज्य भर में कोयला परिवहन पर गलत तरीके से नियमित कलेक्शन शामिल है जिससे भारी बेहिसाब आय का सृजन होता है।

इस तरह के कम समय में 200 करोड़ रुपये से अधिक के कलेक्शन के साक्ष्य मिले हैं। समूह के प्रमुख विश्वसनीय सहयोगियों ने भी इसकी पुष्टि की है। सरकारी अधिकारियों को किए गए कुछ नकद भुगतानों की भी पहचान की गई है।

जब्त किए गए सबूतों से यह भी संकेत मिलता है कि समूह ने कोल वाशरीज की खरीद में लगभग 45 करोड़ रु. रुपये का बेहिसाब नकद भुगतान किया है। बताया जा रहा है कि इस मामले के तार कोरबा जिले से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, इसके भी सबूत मिले हैं कि हाल ही में हुए चुनावों के दौरान समूह द्वारा नकद खर्च किया गया है।

तलाशी के दौरान बड़ी संख्या में संपत्ति के समझौते मिले हैं, जिससे पता चलता है कि अचल संपत्तियों के अधिग्रहण में भारी अघोषित निवेश किया गया है, जिसकी प्रकृति बेनामी प्रतीत होती है। सरकारी अधिकारी से संबंधित कथित मालिकों द्वारा 50 एकड़ अचल संपत्तियों के अधिग्रहण में किए गए निवेश के स्रोत की जांच की जा रही है।

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इस तलाशी अभियान के दौरान 9.5 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित नकदी और 4.5 करोड़ रुपये के आभूषण अब तक जब्त किए जा चुके हैं। तलाशी के दौरान एकत्र किए गए दोषी ठहराने वाले सबूतों की प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि समूह ने कई सौ करोड़ रुपए की आय दिखाने से बचने का प्रयास किया है।

आयकर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी  मामले में आगे की जांच जारी है।

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