भारत ने विशाखापत्तनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर से अरिहंत श्रेणी की तीसरी परमाणु पनडुब्बी एस-4 को लॉन्च कर दिया है। इसकी ताकत और क्षमता की बात करें तो यह पनडुब्बी एक साथ 8 के-4 बैलिस्टिक मिसाइल दागने में सक्षम है।
गौरतलब हो इसी श्रेणी की पहली बैलिस्टिक परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को 2016 में नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया था। दूसरी पनडुब्बी अरिघाट 3 साल के समुद्री परीक्षणों के बाद नौसेना में शामिल होने को तैयार है। अरिहंत श्रेणी की 06 पनडुब्बियां रूस की मदद से बनाई जा रही हैं।
पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी INS अरिहंत
भारत की पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का जलावतरण 26 जुलाई, 2009 को किया गया था। यह दिन इसलिए भी चुना गया क्योंकि यह कारगिल युद्ध में विजय की सालगिरह भी थी और इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रतीकात्मक समारोह के दौरान ड्राई डॉक में पानी भर पनडुब्बी को तैराया गया और नौसैनिक परंपरा के अनुसार पतवार पर नारियल फोड़ा गया। इस 6000 टन के पोत को बनाने के बाद भारत वह छठा देश बन गया जिनके पास इस तरह की पनडुब्बियां हैं। अन्य पांच देश अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस हैं। गहन बंदरगाह और समुद्री परीक्षणों से गुजरने के बाद आईएनएस अरिहंत 2016 में नौसेना के बेड़े का हिस्सा बनी थी।
दूसरी पनडुब्बी INS अरिघाट
अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट में मिसाइलों की संख्या दोगुनी रखी गई है, जिससे भारत को ‘पानी के युद्ध’ में और अधिक मिसाइलें ले जाने की क्षमता मिल जाएगी। इस पनडुब्बी का कोडनेम एस-3 रखा गया था। कई बार टलने के बाद इसकी लॉन्चिंग 2017 में हो पाई। इस पनडुब्बी को मूल रूप से आईएनएस अरिदमन के नाम से जाना जाता था लेकिन लॉन्चिंग होने पर इसे आईएनएस अरिघाट नाम दिया गया था। भारतीय नौसेना में 3 साल के समुद्री परीक्षणों के बाद अब भारत की दूसरी परमाणु ऊर्जा वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट नौसेना में शामिल होने को तैयार है। इस पनडुब्बी को आईएनएस विक्रांत के साथ सेवा में शामिल किया जाएगा। यह सतह पर 22-28 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम गति और जलमग्न होने पर 44 किलोमीटर प्रतिघंटा गति प्राप्त कर सकती है।
तीसरी परमाणु पनडुब्बी एस-4
इस बीच अरिहंत श्रेणी की तीसरी परमाणु पनडुब्बी एस-4 विशाखापत्तनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर से गोपनीय तरीके से लॉन्च कर दी गई है। एस-4 परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत से 13.8 मीटर बड़ी है। यह अपने साथ कम से कम 8 के-4 बैलिस्टिक मिसाइल ले जा सकती है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक एस-4 पनडुब्बी बैलिस्टिक परमाणु पनडुब्बी 23 नवंबर को लॉन्च की गई थी। उपग्रह की तस्वीरों से भी पुष्टि हुई है कि इसे ‘फिटिंग-आउट घाट’ के पास ‘स्थानांतरित’ कर दिया गया था, जिस पर वर्तमान में अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट थी। भारत अपनी समुद्री हमले की क्षमता बढ़ाने के लिए ऐसी कम से कम चार पनडुब्बियों को समुद्र में उतारने की योजना बना रहा है।
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