देश ने बिजली की मांग में वृद्धि के बावजूद घरेलू कोयला उत्पादन में पर्याप्त बढ़ोत्तरी दर्ज की है और कोयला आयात में उल्लेखनीय कटौती हासिल की है।
अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 के दौरान गैर कोकिंग कोयले के सभी ग्रेड के आयात में पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कमी आई।
पिछले वित्त वर्ष में 163 मिलियन टन गैर कोकिंग कोयले का आयात किया गया था जो इस अवधि में घटकर लगभग 125 मिलियन टन रह गया। इस श्रेणी के कोयले के आयात में यह 23 प्रतिशत की गिरावट है।
इस वर्ष जनवरी तक घरेलू कोयला आधारित विद्युत उत्पादन पिछली अवधि की तुलना में आठ खरब यूनिट से अधिक हुआ है। पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि में सात खरब यूनिट से अधिक विद्युत उत्पादन हुआ था।
विद्युत मंत्रालय ने ये भी कहा कि अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 की अवधि में आयातित कोयला आधारित विद्युत उत्पादन 55 प्रतिशत घटकर 35 अरब यूनिट से अधिक रहा। वित्त वर्ष 2020 की इसी अवधि के दौरान आयातित कोयला आधारित विद्युत उत्पादन 78 अरब यूनिट था।
इस वर्ष जनवरी तक उर्जा क्षेत्र में प्रयोग में लाए जाने वाले गैर कोकिंग कोयले का आयात साठ दशमलव आठ सात प्रतिशत गिरकर 22 दशमलव सात तीन मिलियन टन रहा। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान 58 दशमलव शून्य नौ मिलियन टन का आयात हुआ था।
भारत विश्व में बिजली की खपत की दृष्टि से तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। देश में विद्युत मांग हर वर्ष चार दशमलव सात प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।
कोयले के आयात में कमी करने के लिए विद्युत मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत कई बड़े सुधारों की पहल की है। मंत्रालय ने खान और खनिज (संशोधन) अधिनियम, 2021 के अन्तर्गत खनिज रियायत नियम, 1960 में संशोधन करते हुए कोयला खान के पट्टाधारी को संयंत्र की जरूरतों को पूरा करने के पश्चात कोयला या लिग्नाइट के कुल उत्पादन के 50 प्रतिशत तक की मात्रा के विक्रय करने की अनुमति दी है।
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