इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) को लागत से कम दाम पर पेट्रोल-डीजल और कुकिंग गैस एलपीजी बेचने से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 272.35 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. यह जानकारी आईओसी कंपनी ने शनिवार को अपने एक बयान में दी. स्टॉक मार्केट के साथ साझा किए गए फाइलिंग डाक्यूमेंट्स के मुताबिक पिछले साल समान तिमाही (जुलाई-सितंबर 2021) में आईओसी कंपनी को 6,360.05 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.
FY23 की पहली तिमाही में भी हुआ था घाटा
पिछले वित्त वर्ष की तुलना में मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी को 272.35 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी आईओसी के साथ-साथ अन्य राज्य के स्वामित्व वाली फ्यूल रिटेलर्स को भारी नुकसान हुआ था. दरअसल केन्द्र सरकार को लगातार बढ़ती महंगाई पर काबू पाने में मदद करने के लिए इन कंपनियों और राज्य के स्वामित्व वाली रिटेलर्स ने लागत के अनुरूप पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस एलपीजी की कीमतों को रिवाइज नहीं किया था. FY23 की पहली तिमाही (वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही) में IOC ने 1,992.53 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था.
FY22 के मुकाबले लगातार दूसरी तिमाही में हुआ घाटा
पिछले वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में कंपनी 12,301.42 करोड़ रुपये फायदे में थी. उसके मुकाबले मौजूदा वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में कंपनी को 2,264.88 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. स्टॉक मार्केट के साथ फाइलिंग से पता चलता है कि जुलाई-सितंबर में कंपनी की ऑपरेशन रेवेन्यू पिछले साल 1.69 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.28 लाख करोड़ रुपये हो गई है.
केन्द्र सरकार के स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कंपनी ऑयल और गैस के लिए काम करती है. भारत की सबसे बड़ी कमर्शियल ऑयल कंपनी IOCL का हेडक्वार्टर नई दिल्ली में है. ये कंपनी पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय के तहत काम करती है. कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक फॉर्च्यून ग्लोबल 500 की लिस्ट में इंडियन ऑयल को 142वां स्थान मिला है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में IOCL ने ऑपरेशन रेवेन्यू से 7,28,460 करोड़ रुपये और 24,184 करोड़ रुपये नेट प्रॉफिट दर्ज किया था.
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