सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले भारतीय रेलवे ने 13000 से अधिक पदों पर छंटनी करने की योजना बनाई है। रेलवे मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि छंटनी की प्रक्रिया मंत्रालय द्वारा की गई नौकरियों की जनगणना पर आधारित है। सूत्रों के अनुसार, छंटनी के पीछे तर्क यह है कि रेलवे अपने कामकाज में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाना चाहता है, जिसे मौजूदा और पुराने कर्मचारी संभालने में सक्षम नहीं हैं।

नवजीवन में प्रकाशित खबर मुताबिक मंत्रालय ने प्रत्येक रेलवे जोन से कुछ पदों को सरेंडर करने को कहा है ताकि नई रिक्तियां सृजित की जा सकें। पता चला है कि रेलवे में अंदरखाने चल रही इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी मिलने पर कुछ यूनियनों ने इस विचार का विरोध किया है, लेकिन विरोध के बावजूद रेलवे ने खत्म किए जाने वाले पदों की पहचान की प्रक्रिया शुरु कर दी है।

एक सूत्र ने बताया कि, “कुछ यूनियनें इसे लेकर प्रदर्शन आदि की योजना बना रही हैं लेकिन लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के चलते ऐसा नहीं हो पाया है। साथ ही कोरोना संक्रमण के चलते भी यूनियनों ने अपने प्रदर्शन की योजना फिलहाल टाल दी है।”

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा 01-03-2019 को ही जारी वार्षिक रिपोर्ट (वेतन और भत्ते) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार रेलवे में लगभग 2,85,258 खाली पद थे। एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में रेलवे में लगभग 4,00,000 पद रिक्त हैं। हालांकि, भारत में बेरोजगारी दर 7.11 प्रतिशत तक पहुंचने के बावजूद, जो पिछले 30 वर्षों में सबसे अधिक है, रिक्त पदों को भरने के लिए कोई योजना नहीं है।

छंटनी की योजना का विरोध करते हुए सीपीएम नेता ई करीम ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से लेबर सेंस और पदों को खत्म करने की प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने रेलमंत्री से आग्रह किया है कि सभी मौजूदा रिक्तियों को युद्ध स्तर पर भरने का काम शुरु किय जाए ताकि रेलवे के सुरक्षित संचालन में मदद मिले। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि रेलवे का यह कदम “निश्चित रूप से रेलवे के सुचारू कामकाज को प्रभावित करेगा और रेलवे के पूर्ण विनाश का कारण बन सकता है।”

केंद्र सरकार से केरल सरकार से सीख लेने की अपील करते हुए उन्होंने कहा है कि “भारत सरकार और रेलवे को केरल सरकार की इस नीति को एक रोल मॉडल के रूप में मानना चाहिए और इस मुद्दे को हल करने के लिए उस लाइन पर काम करना शुरू करना चाहिए जिसे कोविड के कारण बढ़ी बेरोजगारी को दूर करने के लिए भर्ती अभियान शुरु करने की बात की जा रही है।

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते रेलवे के 25,00 से अधिक कर्मचारियों की अब तक मौत हो चुकी है, और लगभग 1,000 रेल कर्मचारी हर दिन कोरोना से प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि, एक अनौपचारिक अनुमान से पता चलता है कि जिन लोगों ने महामारी के कारण दम तोड़ दिया, उनकी संख्या मंत्रालय के दावे से कहीं अधिक है।

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