नई दिल्ली, 25 मार्च : निरंतर विकास की राह पर बढते हुये भारत के प्रत्यक्ष बिक्री कारोबार ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 4.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 22,142 करोड़ रुपए का अब तक का सर्वोच्च स्तर हासिल किया है जो वर्ष 2022-23 में 21282 करोड़ रुपए था। देश में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग के शीर्ष संगठन इंडियन डायरेक्ट सैलिंग एसोसिएशन (IDSA) की आज यहां जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

आईडीएसए के नॉलेज पार्टनर आईपीएसओएस द्वारा संकलित यह सर्वेक्षण रिपोर्ट केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने एक कार्यक्रम में जारी की जिसमें यह तथ्य निकल कर आया है प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग के सभी क्षेत्रों में व्यापक सुधार हुआ है तथा कुल बिक्री में वर्ष 2022-23 के मुकाबले लगभग 860 करोड़ रूपये की वृद्धि तथा वर्ष 2019-20 के 16,800 करोड़ रूपये से लेकर 2023-24 के 22,142 तक के पांच वर्षों में प्रत्यक्ष बिक्री कारोबार की औसतन विकास दर (सीएजीआर) जगभग 7.15 प्रतिशत रही है।

रिपोर्ट के अनुसार कुल बिक्री में उत्तरी क्षेत्र 29.8 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे है जबकि पूर्वी, पश्चमी, दक्षिणी तथा पूर्वोतर क्षेत्र का क्रमश: 24.2, 22.4, 15.3 और पूर्वोत्तर का 8.3 फीसदी का योगदान है। राज्यों में महाराष्ट्र की कुल बिक्री में सर्वाधिक 13 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि इसके बाद पश्चिम बंगाल (11.3 फीसदी), उत्तर प्रदेश (10 फीसदी), बिहार (6.2 फीसदी) और कर्नाटक (6.7 फीसदी) का स्थान है।

वेलनेस और न्यूट्रास्युटिकल उत्पाद लगातार उपभोक्ताओं के पसंदीदा बने हुये हैं। सौंदर्य प्रसाधन और व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद इस वर्ग में दूसरे स्थान पर तथा घरेलू उत्पाद तीसरे स्थान पर हैं। तीनों वर्गों का कुल कारोबार में क्रमश: 64.15, 23.75 और 3.1 फीसदी के साथ कुल 91 प्रतिशत हिस्सा है। रिपोर्ट में खास बात यह भी सामने आई है कि इस दौरान दो लाख और प्रत्यक्ष विक्रेता इस कारोबार से जुड़े और यह संख्या वर्ष 2022-23 के 86 लाख के मुकाबले बढ़ कर 88 लाख हो गई है। इसके साथ ही महिलाओं की इसमें हिस्सेदारी भी 37 फीसदी से बढ़ कर 44 फीसदी हो गई है।

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए श्री पासवान ने स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग की सराहना की। उन्होंने कहा, प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग ने अधिक रोजगार सृजन के सरकार के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाते हुए स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उच्च उत्पाद गुणवत्ता के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने अपनी विभिन्न रणनीतिक पहलों के माध्यम से व्यापार-अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने उद्योग को बेहतर मैन्युफैक्चरिंग कार्यप्रणालियों को अपनाने और सतत विकास के अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, उन्होंने उद्योग के हितधारकों को अपने विभाग के अटूट समर्थन का आश्वासन दिया और न्यूट्रास्युटिकल क्षेत्र से संबंधित चिंताओं को दूर करने तथा प्रत्यक्ष बिक्री व्यवसायों को फलने-फूलने में मदद करने के लिए ऋण प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने का वचन दिया।

आईडीएसए के अध्यक्ष विवेक कटोच ने कहा, “यह रिपोर्ट देश में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग के लिए एक उत्साहजनक प्रवृत्ति को दर्शाती है। उद्योग का विकास पथ पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ रहा है। 7.15 फीसदी का सीएजीआर इस बात का प्रमाण है कि देश में प्रत्यक्ष बिक्री व्यवसायों ने लगातार विकास किया है और उद्योग के लिए सरकार द्वारा एक आशाजनक नियामक ढांचे के बल पर आने वाले वर्षों में और मजबूत होने के लिए तैयार हैं।

आईडीएसए के बारे में :

आईडीएसए (IDSA) भारत में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग की एक स्वायत्त एवं स्व-नियमन संस्था है जो प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग और कारोबार को बढ़ावा देने के लिये अनुकूल माहौल बनाने, इसके हितों और इससे संबद्ध मुद्दों को लेकर सरकार के नीति निर्धारण निकायों के बीच एक माध्यम और सेतु का कार्य करती है। इसके अलावा यह सरकार के साथ नीतिगत मुद्दों पर मिल कर काम करने, इसमें दक्षता बढ़ाने, प्रत्यक्ष बिक्री में वांछित विश्वसनीयता, स्पष्टता और विश्वास सुनिश्चत करने के लिये एक सलाहकार और परामर्शदाता की भूमिका भी अदा करती है।

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